जो अपना सिर उतार कर यानी अपने तर्क, विचार छोड़कर गुरू के चरणों में झुक जाता है, वह साधनाओं में और जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करता है। केवल चरण स्पर्श करने से श्रद्धा और विश्वास नही होता। वह तो तब होता है जब शिष्य अपने तर्क और अपने विश्वास को छोड़कर गुरू के प्रति नमन हो।
केवल हाथ का स्पर्श करने से दीक्षा या शक्तिपात नहीं हो जाता। यह तो केवल एक बाहरी क्रिया है। शक्तिपात का अर्थ है कि गुरू भीतर से एक चेतना का प्रवाह करें जो नेत्रों के माध्यम से शिष्य के शरीर में प्रवेश कर उसकी आत्म शक्ति को जाग्रत करें। कोई भी अपने को गुरू कहकर या हाथ का स्पर्श कर शक्तिपात नहीं कर सकता जो स्वयं चेतनाहीन है जो स्वयं अपनी आत्म शक्ति की अनूभूति नहीं कर सका है वह कैसे शक्तिपात कर सकता है? जिसको शक्तिपात का अर्थ ही न पता हो वह कैसे शक्ति का प्रवाह कर सकता है?
जब गुरू शक्तिपात करता है तो अपने प्राणों को निचोड़ कर सारा तत्व शिष्य में प्रवाहित कर देता है। अगर शिष्य में समर्पण एवं विश्वास की भावना है तो गुरू अपने पास कुछ रखता ही नहीं, अपना सारा ज्ञान, सारी चेतना शिष्य में उड़ेलने को तत्पर हो जाता है।
शिष्य के जीवन का लक्ष्य, ध्येय और कार्य बस इतना होना चाहिये कि वह प्रेम के हिमालय के सर्वोच्च शिखर को स्पर्श करें, अपने सद्गुरू से ऐसा प्रेम करे जैसा आज तक किसी ने न किया हो और भविष्य में कोई कर भी न सके।
शिष्य को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिये कि सब कुछ नाशवान है, केवल प्रेम ही शाश्वत है, जो मरता नहीं, जो जलता नहीं, जो समाप्त नहीं होता।
वास्तव में शिष्य धर्म एवं गुरू धर्म दो पृथक स्थितियां नहीं है। जिस प्रकार से किसी नदी का अस्तित्व अन्तोगत्त्वा समुंद्र में मिल कर सम्पूर्ण होता है उसी प्रकार से किसी भी शिष्य की पूर्णता तब होती है जब वह अपने गुरू में विसर्जित हो जाता है अर्थात् उनके समक्ष संकल्प-विकल्प से रहित हो जाता है।
नदी जब तक समुद्र में विसर्जित नहीं होती हैं तब तक उसका धर्म होता है निरन्तर छटपटाते हुये किनारों को तोड़ कर बहते रहना और जब वह समाहित हो जाती है तो वह समुंद्र के निरन्तर अथाह प्रवाह में घुल-मिलकर उमड़ते रहना।
गुरू के ज्ञान को किसी प्रकार खरीदा नहीं जा सकता। केवल गुरू कृपा से वास्तविक ज्ञान और आनन्द को प्राप्त किया जा सकता है अतः गुरू के सामने सदैव विनीत भाव से ही रहना चाहिये।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,