गुरू ही समझ सकता है कि वास्तविक आनन्द क्या है और तुम तब समझ सकते हो जब तुम अपने आप को पूरी तरह से गुरू में समाहित कर दो और गुरू को पूर्ण रूप से अपने आप में समाहित कर दो।
जिस क्षण गुरू पूर्णता से आप में समाहित हो गये उस क्षण आपको पूर्ण ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जायेगा। उसके लिये फिर पोथियां पढ़ने की आवश्यकता नहीं रह जायेगी।
गुरू को केवल हृदय में स्थापित किया जा सकता है या आज्ञा चक्र पर स्थापित किया जा सकता है। परन्तु इससे पहले आवश्यक है कि तुम स्वार्थ, छल, झूठ, कपट से मुक्त हो जाओ। ये जब तक तुम्हारे अंदर है गुरू स्थापित नहीं हो सकता।
गुरू से कुछ प्राप्त करने की क्रिया केवल प्रेम और समर्पण के माध्यम से हो सकती है। उसके लिये कोई भौतिकता का रास्ता नहीं है। गुरू को न तुम्हारा धन चाहिये न तुम्हारा ऐश्वर्य। उसे तो केवल पूर्ण समर्पण चाहिये।
गुरू जो रास्ता बताये उस पर बढ़ना बहुत कठिन कार्य है। केवल हिम्मतवान व्यक्ति ही उस पर बढ़ सकता है। कायर और बुजदिल नहीं बढ़ सकते। गया बीता व्यक्ति पूर्ण समर्पण नहीं कर सकता। समर्पण के लिये तो व्यक्ति को वीर होना पड़ेगा, महावीर होना पड़ेगा।
जीवन में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितना कमाया या कितना झूठ बोला या कितनी चोरी की। महत्वपूर्ण है कि आप गुरू के बताये रास्ते पर कितना चले, कितना गुरू कार्य किया, तुमने अंधेरे में कितने दीपक जलाये।
मैं तुम्हारा हाथ पकड़ने को तैयार हूं, यह मेरी जिम्मेवारी है कि मैं तुम्हें सही रास्ते पर पकड़कर अग्रसर करूं। मैं ऐसा करूंगा ही, यह मेरा धर्म है और मेरे बताये हुये मार्ग पर चलकर ही आप पूर्णता तक पहुंच पाएंगे अद्वितीय बन सकेंगे।
केवल चरण स्पर्श करके गुरू को फूलों का हार पहनाने से कुछ नहीं होगा। गुरू जिस मार्ग पर ले जाकर आपको अग्रसर हो वही जीवन की श्रेष्ठता है उच्चता है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,