जटामासी को नारडोस्टेयस जटामासी, बालछड़, स्पाइक्नाड व कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। यह अवसाद तनाव और थकान को कम करने के लिए एक गुणकारी औषधि है। इसे न्यूरोप्रोटेक्टिव जड़ी-बूटी के रूप में आयुर्वेद में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं में जटामासी औषधि एक रामबाण इलाज है।
जटामासी अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुणों वाला एक खास औषधीय पौधा है, जो प्रमुख रूप से हिमालय के क्षेत्रों में उगता है। जटामासी की जड़ के साथ-साथ पत्ते भी हर्बल और पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किये जाते हैं। इस औषधि का इस्तेमाल तेज गंध वाला परफ्यूम और दवा बनाने के लिये किया जाता है।
जटामासी में एक्टिनिडीन, नार्डोल, एंजेलिविन, कूमारिन जैसे कई जरूरी रसायन शामिल होते हैं। यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक के रूप में कार्य करता है। अपने एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण यह कोशिका क्षति को रोककर स्मृति और मस्तिष्क कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है। यह तंत्रिका-सुरक्षा गुणों के कारण औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। यह एंग्जायटी के साथ-साथ अनिद्रा को भी नियंत्रित करता है।’
जटामासी में हृदय को सुरक्षित रखने वाले गुण होते हैं। यह दिल के कार्यों को बढ़ाती है और हृदय की दर को सामान्य रखती है। यह लिपिड चयापचय को बरकरार रखता है और हृदय के ऊतकों को ऑक्सीडेटिव चोट से बचाती है। जटामासी का मुख्य प्रभाव परिसंचरण पर पड़ता है। यह शरीर में तंग संचलन के कारण सभी परिस्थितियों में मदद करती है। दोनों स्थितियों उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप में रक्त चाप को सामान्य करने के लिये इस्तेमाल की जा सकती है।
आजकल ज़्यादातर लोगों ने फास्ट-फूड को अपने खानपान में शामिल कर लिया है जिस कारण उनकी पाचन क्रिया को बहुत नुकसान होता है। इस तरह के भोजन से हानिकारक बैक्टीरिया हमारे शरीर में चले जाते हैं और पेट दर्द, गैस, कब्ज, अल्सर, बवासीर जैसी हानिकारक बीमारियां हमारे शरीर में पैदा कर देते हैं। इन तमाम पेट की बीमारियों से बचने के लिये आप जटामासी के चूर्ण का रोजाना सेवन करना शुरू कर दें। इसके लिये आप जटामासी की जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंठ और सौंफ का मिश्रण मिलाकर इसका सुबह-शाम सेवन करें। इससे आप पेट की बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं।
गलत खानपान और असंतुलित जीवनशैली यह हमारे शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है। जंक फूड जहां हमारे शरीर के अंगों पर प्रभाव डालता है वहीं यह हमें अनिद्रा जैसी समस्या भी देता है। रात को नींद न आने जैसी समस्या हो तो यह शरीर को कई बीमारियों का घर बना देता है। जटामासी के चूर्ण को रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ सेवन करना शुरू कर दें। जटामासी का प्रयोग आपको अच्छी नींद लाने में मदद करेगा और आपके मस्तिष्क की शक्ति को भी बढ़ाएगा।
जटामासी ऑक्सीडेटिव तनाव के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है। यह तंत्रिका तंत्र में हार्मोन के संतुलन को बनाये रखने में मदद करती है और इस तरह यह मिर्गी के रोगियों को स्ट्रोक के खतरे से बचाती है।
भागदौड़ भरी जिंदगी, घर और दफ्तर की तमाम परेशानियों के चलते हमारा शरीर बहुत ज्यादा थकान और तनाव महसूस करता है। यही थकान और तनाव सिरदर्द का कारण बन जाते हैं। इस तरह की तनाव और थकान से हुये इस सिर दर्द के इलाज के लिये आप जटामासी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिये आप जटामासी की जड़ को सौंठ और तगर को शुद्ध गाय के घी में बराबर मात्रा में पीसकर माथे पर इस लेप को लगाते हैं तो यह आपके सिर दर्द में बहुत आराम पहुंचाएगा।
नकारात्मक विचार और अत्यधिक चिंता अवसाद के कारण बनते हैं। इसके कारण मूड स्विंग भी हो सकता है। मूड को बेहतर बनाने और जीवन के प्रति सकारात्मक विचार महसूस कराने के लिए आयुर्वेद जटामासी पर भरोसा करता है। यह जड़ी बूटी मस्तिष्क में मोनोअमाइन के स्तर को बढ़ा देता है। इससे मन शांत होता है। इससे वेलनेस की भावना भी पैदा हो सकती है। यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर गाबा (GABA) के स्तर को कम करता है। इससे भी अवसाद कम हो सकता है।
शरीर में न्यूरोंस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। तंत्रिकाओं के बिना हिलने-डुलने, चीजों को महसूस करने या यहां तक कि सबसे सरल कार्य करने में भी सक्षम नहीं हुआ जा सकता है। इन्हें स्वस्थ और आकार में रखने के लिए, न्यूरॉन टॉनिक की जरूरत पडती है। जटामासी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट विभिन्न न्यूरो-सुरक्षात्मक गुणों को सामने लाती है। यह बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के नसों को मजबूत करने में मदद करती है।
तनाव ग्रस्त होने पर याददाश्त प्रभावित होने लगते हैं। तनाव, सीखने की क्षमता को भी खराब कर सकता है। जटामासी एक शक्तिशाली जड़ी बूटी है, जो याददाश्त बढ़ाती है। यह संज्ञानात्मक कार्य में सुधार करती है। बुजुर्गों में मनोभ्रंश (Dementia) या भूलने की बीमारी (Memory Loss) के इलाज में भी जटामासी प्रभावी साबित हुआ है। जटामासी में समृद्ध एंटीऑक्सीडेंट सामग्री है, जो स्मृति को संरक्षित करने और तंत्रिका के डैमेज होने को रोकने में मदद करती है।
जटामासी का उपयोग पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं से आपको राहत दिला सकता है। प्राचीन समय से ही इसका इस्तेमाल पीरियड्स को नियमित करने के लिये किया जाता रहा है। यह पीरियड शुरू होने से पहले होने वाली दिक्कतों जैसे थकान, मूड में बदलाव, सिरदर्द, पेट दर्द, कब्ज की समस्या आदि में भी राहत दिलाने का काम करता है।
जटामासी मानसिक थकावट को कम करती है और एक स्त्रायू टॉनिक के रूप में कार्य करती है। यह स्वस्थ शांतिदायक दवा कार्यों को उत्तेजित और मस्तिष्क को पोषण प्रदान करती है। लंबे समय से हो रही थकान की वजह से भी कई लोग अवसाद और तनाव से ग्रस्त रहते हैं। जटामासी का अश्वगंधा के साथ सेवन CFS(Chronic Fatigue Syndrome) से जुड़े तनाव के लिये एक शानदार उपाय है।
यदि आपके शरीर के किसी भाग में कंपन होती है या फिर आपके हाथ पैर कांपते हैं तो आप जटामासी का सेवन कर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। जटामासी का काढ़ा इस परेशानी में बहुत फायदेमंद है। इसकी जड़ से तैयार किया गया काढ़ा नियमित रूप से सुबह और शाम सेवन करने से कंपन की समस्या जल्दी ही दूर हो जाती है। यह कंपन की समस्या दूर करने के साथ-साथ शरीर की मांसपेशियों को भी ताकत देता है।
घने लंबे और सुंदर बाल हमारे सौंदर्य को बढ़ाते हैं किंतु आज के प्रदूषित वातावरण में बालों का झड़ना आम बात है। यदि आप जटामासी के पौधे की छाल का काढ़ा बालों में लगाते हैं और 1 घंटे बाद बाल धोते हैं तो यह आपके बालों का झड़ना बंद कर सकता है। इससे आपको मजबूत और घने बाल मिल सकते हैं। बाल झड़ने की समस्या और बालों को काला करने में भी आप जटामासी तेल के फायदे का लाभ उठा सकते हैं।
यह जड़ी-बूटी आयुर्वेद में औषधि के रूप में बरसों से इस्तेमाल की जा रही है। बाजार में कई रूपों में यह उपलब्ध है जैसे जटामासी का तेल, जटामासी का पाउडर आदि। जटामासी गंभीर बीमारी के जोखिम को कम नहीं कर सकती लेकिन यह हल्के-फुल्के स्वास्थ्य समस्याओं से आपका बचाव कर सकती है। जटामासी का प्रयोग हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार लेना चाहिए।
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