जिस साधना से आप अपने शत्रुओं का उच्चाटन कर सकते हैं, वहीं साधना के दूसरे भाग को सम्पन्न कर किसी को भी अपने आकर्षण में बांध सकते है-
यह एक अत्यन्त गोपनीय साधना है, जिसके माध्यम से किसी के भी चित्त का उच्चाटन और आकर्षण दोनों ही प्रयोग सम्पन्न किये जा सकते हैं।
प्रस्तुत है साधना के दोनों चरण, इन दोनों चरणों को करने पर साधना सम्पन्न होती है। आप आवश्यकतानुसार दोनों अथवा किसी एक प्रयोग को सम्पन्न कर इच्छानुसार फल प्राप्त कर सकते हैं।
उच्चाटन हेतु साधना विधान
इस साधना में आवश्यक सामग्री है- चित्रक यंत्र और हकीक माला।
यह एक दिवसीय साधना है, जिसे प्रदोष पर्व पर अथवा किसी भी बुधवार व द्वादशी को सम्पन्न किया जा सकता है।
साधक इस साधना के लिये श्वेत वस्त्र धारण करें।
‘दैनिक साधना विधि’ के अनुसार गुरू पूजन सम्पन्न करें।
लकड़ी के बाजोट पर पीले रंग का वस्त्र बिछायें, उस पर ताम्रपात्र में चित्रक यंत्र स्थापित करें।
यंत्र का पूजन कुंकुम, पुष्प तथा अक्षत से करें।
यंत्र के ऊपर एक पान में दो लौंग तथा इलायची रख कर चढ़ायें।
उसका फोटो रखें जिसका मन उच्चाटित करना है, मन में अपनी बात को दोहराते हुये फोटो को यंत्र के नीचे दबा दें।
संकल्प लेते समय बोलें, कि मैं अमुक नाम (अपना नाम) का व्यक्ति अमुक व्यक्ति (जिसके लिये प्रयोग सम्पन्न करना है, उसका नाम) के उच्चाटन हेतु इस प्रयोग को सम्पन्न कर रहा हूँ।
हकीक माला से दक्षिणाभिमुख होकर 21 माला जप करें-
मंत्र
।। ऊँ क्लीं उच्चाटय विदूरय फट् ।।
Om Kleem Uchhaataya Viduraya Phat
मंत्र जप पूर्ण हो जाये, तो फिर अपने हाथ में आटे से बनाया हुआ दीपक लेकर 10 मिनट तक खड़े होकर उपरोक्त मंत्र का जप करें। जब जप पूर्ण हो जाये, तो खीर का नैवेद्य चढ़ायें और जिसके लिये यह उच्चाटन प्रयोग किया जा रहा है, उसके नाम का स्मरण कर खीर में यंत्र पर चढ़ाया गया पान, इलायची और लौंग डालकर गाय को खिला दें।
जब तक आपका कार्य पूर्ण नहीं हो जाता, तब तक आप इसके विषय में किसी को न बतायें। प्रयोग के तीसरे दिन यंत्र तथा माला को जिस फोटो पर यह प्रयोग सम्पन्न हुआ है, उसे फोटो सहित किसी नदी किनारे रेत के अन्दर गाढ़ दें। उसके बाद घर आकर स्नान कर लें।
आकर्षण हेतु साधना विधि
यदि किसी के आकर्षण हेतु इस प्रयोग को सम्पन्न करना है तो-
इस प्रयोग में साधना सामग्री है- चित्ताकर्षिणी यंत्र, चित्ताकर्षिणी मुद्रिका तथा आकर्षय माला।
यह प्रयोग आप प्रदोष पर्व अथवा किसी भी शुक्रवार या द्वादशी के रात्रि में करें।
साधक गुरू पूजन सम्पन्न करने के पश्चात् लकड़ी के बाजोट पर श्वेत वस्त्र बिछायें तथा स्वयं भी श्वेत वस्त्र धारण करें।
बाजोट पर कुंकुम से रंगे चावलों की ढेरी बना कर चित्ताकर्षिणी यंत्र को स्थापित करें, कुंकुम की एक अन्य ढेरी बना कर उस पर मुद्रिका को स्थापित करें।
यंत्र और मुद्रिका का अबीर, गुलाल, अक्षत तथा पुष्प से पूजन करें।
जिनको परस्पर आकर्षित करना है, उनका बिम्ब आँखों के सामने लाते हुये संकल्प लें, कि वे दोनों आपस में आकर्षित हों।
आकर्षय माला से 31 माला मंत्र जप करें-
मंत्र
।। ऊँ सं संकर्षणाय फट् ।।
Om Sum Sankarshanaaya Phat
तत्पश्चात् उपरोक्त मंत्र 11 बार बोलते हुये कपूर से आरती करें।
मुद्रिका, यंत्र तथा माला को एक कपड़े में बांध कर रख दें।
साधना के तीन दिन बाद यंत्र, मुद्रिका व माला को किसी नदी में प्रवाहित कर दें।
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