सरसों मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है- पीली और लाल, औषधीय गुणों की दृष्टि से पीली सरसों बेहतर मानी जाती है। सरसों के तेल को अंग्रजी में मस्टर्ड ऑयल कहते हैं। चिकित्सा कार्यों में मुख्य रूप से सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। यह तेल भूख बढ़ाने वाला होता है। कड़वा एवं तीखा सरसों का तेल स्वाद में चटपटा होता है। यह तेल सर्दी, कपफ़, वात की समस्या, बवासीर, मस्तक, चर्मरोग, घाव व कान के रोगों को मिटाने वाला तथा खुजली, पेट के कीड़े और कोढ़ को दूर करने वाला होता है।
स्फूर्ति और ताजगीः शरीर पर सरसों के तेल की मालिश से हानिकारक जीवाणुओं का नाश होता है। त्वचा के अन्य संक्रमणों से भी राहत मिलती है, रक्त संचार में तेजी आती है, मांसपेशियां मजबूत होती है और नाड़ी-तंत्र को बल मिलता है। जिससे शारीरिक थकान व आलस्य दूर होता है और ताजगी बनी रहती है। यदि थकान बहुत अधिक हो तो पैर के तलवों में भी सरसों के तेल की मालिश करें। इससे गहरी नींद आती है, नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है, ऐडि़यों का पफ़टना बन्द होता है और पैरों में किसी प्रकार का रोग नहीं होता है।
रूखी त्वचाः सर्दियों में त्वचा रूखी एवं खुरदरी हो जाती है। ठंड के मौसम में त्वचा को स्वस्थ रखने के लिये प्रतिदिन स्नान से पहले सरसों तेल से पूरे शरीर की मालिश करना चाहिये। इससे शरीर हष्ट-पुष्ट बनता है। सरसों के तेल की मालिश से त्वचा का रंग निखरता है, चेहरे पर पड़े काले धब्बे कम होते हैं और चर्बी घटकर त्वचा स्वस्थ, सुन्दर, निखरी, कान्तिमय व आकर्षक दिखती है। सरसों तेल की उष्ण वीर्य प्रधान होने के कारण तेल लगाकर स्नान करने से ठंड का असर भी कम होता है।
आकर्षक चेहराः सरसों के तेल में बेसन मिलाकर उबटन बना लें, 15 मिनट पूरे चेहरे पर लगायें रखें, बाद में ठण्डे पानी से धो ले इससे चेहरे की त्वचा में निखार आता है। दर्द नाशकः अन्दरूनी दर्द या जोड़ों के दर्द में सरसों के तेल को हल्का गर्म करके शरीर पर मालिश करें और दो घंटे के बाद स्नान कर लें। ऐसा करने पर दर्द से बहुत राहत मिलती है। संधिवात, गठिया जैसी समस्याओं में सरसों तेल की मालिश से शरीर के विभिन्न हिस्सों में एकत्र वायु बाहर निकल जाती है। जिससे जोड़ों के अकड़न- जकड़न में आराम मिलता है। प्रतिदिन सरसों के तेल की मालिश से इस समस्या से स्थायी लाभ प्राप्त होता है।
पाचन तंत्रः सरसों तेल और लहसुन को गर्म कर पेट की मालिश करने से कब्ज दूर होती है।
स्वच्छ मजबूत दांतः पिसा हुआ नमक और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर मलने से दांत मजबूत, साफ़ और चमकदार होते हैं। दांत दर्द और मसूड़ो का फ़ूलना बंद होता है। इसका प्रभाव पाचन-तंत्र पर भी पड़ता है। सेंधा नमक, सरसों का तेल और नींबू का रस मिलाकर दांतों व मसूड़ो की मालिश करने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
श्रवण शक्तिः कान में मैल जमना अथवा दर्द होने पर कानों में सिर्फ दो बूंद सरसों का तेल डालने से श्रवण शक्ति अच्छी बनी रहती है। इससे श्वास, कफ़-खांसी में भी आराम मिलता है। रक्त स्रावः शरीर के किसी भी कटे अंग पर सरसों के तेल में भीगा हुआ कपड़ा रखकर उस पर पानी की धारा छोड़े, कुछ ही देर में खून का बहना बन्द हो जाता हैं।
बालों के लियेः जो लोग अपने सिर में केवल सरसों का ही तेल लगाते हैं, उनके बाल जल्दी सफ़ेद नहीं होते, और उन्हे रात में नींद भी गहरी आती है। रूसी के लिये यह श्रेष्ठ इलाज हैं। जख्म-मवादः किसी भी घाव पर सरसों तेल की पट्टी बांधने से मवाद नहीं भरता और यदि घाव में पहले से ही मवाद हो, तो धीरे-धीरे निकल जाता है। इससे घाव जल्दी भरता है और कोई इन्पफ़ेक्शन भी नहीं होता है।
पेट के जीवाणुः पेट की गंदगी या पेट में जीवाणु हों तो तीन ग्राम पीली सरसों का पाउडर सुबह-शाम 3 से 5 दिन गर्म पानी से सेवन करें, पेट के जीवाणु और गंदगी साफ़ होती है।
सिर में भारीपन, नजला, जुकाम व खांसीः सरसों का तेल दो-दो बूंद नाक के दोनों छिद्रों में डालने से सिरदर्द में राहत मिलती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है। नित्य सरसों का तेल सूंघने मात्र से भी सर्दी-जुकाम की समस्या जल्दी नहीं होती है और सांस सम्बन्धी रोग भी दूर हो जाते हैं।
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