यह कहना बहुत सरल और सुनने में भी अच्छा लगता है कि ईश्वर ने हमें इस धरा पर जन्म दिया है तो हमें सुख-समृद्धि से जीने का हक है पर यह अधिकार-हक सभी को तो नहीं मिलता यह आपको मिले उसके लिये आपके अंदर वो योग्यता, कोशल उत्पन्न करना होगा, वह भी सही समय पर, अगर सही समय पर आपको भोजन नहीं मिला तो उसका कोई लाभ नहीं, उसी प्रकार सही समय पर शिक्षा, उपचार न मिले तो उसका अभाव जीवन भर या जीवन को गवाने से भी नहीं मिलता। हम सबके पास है तो दिन के 24 घंटे ही, इन पलो को दैनिक कार्य के साथ इस रूप से व्यवस्थित करना होगा, कि आप न सिर्फ अपने पूरे दिन का कार्य सही रूप से संचारित करे साथ ही आने वाले दिनों के लिये पर्याप्त संसाधनों को सृजन करें।
ईश्वर ने प्रकृति में जो पर्याप्त संसाधन दे दिये हैं व प्रकृति उन्हें पुन: बना भी रही है, परन्तु मानव प्रकृति के व स्वंयम् के भी संसाधनों को समाप्त करने में लगा है। एक सजग गुरू का दायीत्व यही होगा है कि व साधक के जीवन को साधन व संसाधनों से हिन न होने दे। इसी के लिये गुरू अपने शिष्य के लिये हर उस विशेष दिवस काल पर एक साधना, मंत्र जप, प्रयोग, दीक्षा अवश्य बतलाते हैं। जिसके प्रयोग से साधक पूर्णता को प्राप्त कर अपना जीवन सरल व समृद्ध बना सके।
आप सभी विशिष्ट पर्वों पर साधना, मंत्र-जप कर सकते हैं पर जो साधना गुरू के सानिध्य में एक दिव्य स्थान पर साधना सम्पन्न करे तो उसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है व साधक सही विधान से व बिना किसी सामग्री के अभाव से पूर्ण कर सकते हैं, अत: आपको जब भी समय मिले तो आप कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर आकर गुरू सानिध्य में साधना सम्पन्न करें।
28 मई को हर्ष बावल योग युक्त आद्या शक्ति धूमावती सर्वकामना पूर्ति शिव-गौरी धनदा साधना पर्व है। पूर्ण आत्मिक भाव से दीक्षा ग्रहण करने से जीवन की समस्त दूषित क्रियायें समाप्त हो सकेंगी व जीवन अनमोल स्वरूप में अमूल्य बन सकेगा।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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