पराजय का तात्पर्य है, पीड़ा, रोग, हानि, नुकसान, बाधा, विरोध, दरिद्रता, कार्य में अपूर्णता, अपमान इत्यादि और बार-बार पराजय मिलने से जीवन का उत्साह समाप्त हो जाता है। आपके जी तोड़ परिश्रम करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती। पराजित होने का तात्पर्य है कि आप पर कोई हावी हो रहा है, आप दब कर जी रहे हैं। इसके निवारण के लिये किसी दैवीय ऊर्जा शक्ति की आवश्यकता पड़ती है।
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा धारण किया हुआ सुदर्शन चक्र जो समस्त प्रकार के बाधाओं, विपत्तियों, शत्रुओं आदि सभी समस्याओं का नाश करने में पूर्णतः सक्षम है। इस चेतन्य सुदर्शन चक्र का घर में स्थापन करने मात्र से ही जीवन के सभी रंग शौर्य, प्रेम, मित्रता, सम्मोहक, आकर्षण, जीवन संग्राम वीरता, कूटनीतिज्ञ, योद्धा, प्रेमी, कला प्रवीण, वाक्पटु व मनोहर छवि की चेतना को आत्मसात करते हुये, महाभारत रूपी जीवन महासंग्राम में विजय प्राप्त कर सकेंगे।
यह चक्र प्रत्येक प्रकार की बाधाओं तथा शत्रुओं के गुप्त प्रयास को और अकाल मृत्यु, आपदाओं, विपत्तियों से मुक्ति प्रदान करने में पूर्ण रूप से सक्षम है। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र धारण किया और अपने शत्रुओं का पूर्ण रूप से विनाश कर दिया था। सुदर्शन चक्र का तात्पर्य है वह शक्ति चक्र, जिसे धारण कर मनुष्य विशेष ऊर्जा युक्त हो जाता है और जीवन की समस्याओं से लड़ने की सहज क्षमता आ जाती है। यह सुदर्शन चक्र श्रीकृष्ण को अपने भीतर धारण करने के समान ही है। जिस घर में सुदर्शन चक्र होता है वह घर भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्त हो जाता है, इससे व्यक्ति में तीव्र आकर्षण शक्ति आने लगती है जो उसे निर्भय बनाती है।
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