हमारा पूरा जीवन एक ऐसे ही अवसर की खोज करते-करते समापन की ओर बढ़ता रहता है और वह पूर्ण अनुकूल मार्ग जिसकी हम आशा करते हैं, जिसकी प्रतीक्षा हमे रहती है, वह सर्व अनुकूलमय अवसर कभी भी हमारे जीवन में आता ही नहीं क्योंकि ऐसा कोई मार्ग, ऐसा कोई क्षण, ऐसा कोई अवसर होता ही नहीं जिसमें सर्व अनुकूलता हो। ऐसा अवसर आपके जीवन में तभी सम्भव है, जब आप पहला कदम, पहली क्रिया सम्पन्न कर लेते हैं। लेकिन हम श्रेष्ठ अवसर की प्रतीक्षा और अपनी आकांक्षाओं में इतना उलझ जाते हैं कि पहले कदम की क्रिया ही प्रारम्भ नहीं करते और हमारा जीवन उस अवसर की प्रतीक्षा व योजना बनाने में बीत जाता है। किसी भी मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ अवसर उपलब्ध नहीं होता ना ही कोई अवसर मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ बनाता है। मनुष्य अवसर को सर्वश्रेष्ठ बनाता है और यह क्रिया तभी प्रारम्भ होगी, जब आप पहला कदम बढ़ायेंगे। प्रतीक्षा करने से, व्याकुल होने से अवसर प्राप्त नहीं होता, अपनी परिस्थिति अनुसार पहला कदम बढ़ाकर निरन्तर क्रिया करने से वह सामान्य अवसर धीरे-धीरे स्वतः ही सर्वोत्तम अवसर में परिवर्तित हो जाता है।
सद्गुरुदेव ने पूजन, मंत्र जाप, साधना, ध्यान और अपना सानिध्य इन सभी रूपों में हमें वह अवसर प्रदान किया है, जिसे यदि आप गहराई से समझ पायें तो आपके जीवन का कायाकल्प संभव है। अवसर तो अनमोल प्राप्त हुआ है, लेकिन इसका पूर्ण लाभ वही प्राप्त कर पायेंगे जो गहरी जिज्ञासा, प्रेम, समर्पण, सद्भावना से भरे हों। अवसर सभी को समान रूप से मिला है, लेकिन असंतोष, ईर्ष्या, द्वेष, कुप्रवृत्तियां, नकारात्मकता आदि के कारण हम गंवाते जा रहें हैं। अवसर उसे महत्व देता है जो अवसर की महत्ता समझता है। सद्गुरुदेव ने श्रम-तप का संयोजन कर जिस प्रकार समय का सदुपयोग किया और उस समय को ही सर्वोत्तम बना दिया। है, इसी तरह हम सभी अपनी-अपनी जीवन की क्रियाओं को अपने अनुकूल बना सकते हैं। यह आप पर निर्भर है कि सद्गुरुदेव द्वारा प्रदत्त अवसर का उपयोग आप कब करते हैं ?
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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