निखिल ज्ञान अविरल प्रवाह के विशिष्ट पड़ाव दीपावली महोत्सव-लूनी धाम सभी निखिल शिष्यों के लिये बहुमूल्य धरोहर के रूप में विद्यमान है। जहां के चैतन्य वातावरण में बैठकर असीम शांति व शीतलता का अनुभव होता है, आप सभी की दैवीय आस्था भाव के फलस्वरूप आपकी गौरवपूर्ण उपस्थिति और आपके बाह्य व भीतर की प्रसन्नता को स्पष्ट रूप से मैंने अनुभव किया, कई वर्षो के प्रयास के बाद इस कार्य में सफलता मिली कि आपको सद्गुरुदेव के ज्ञान, चिंतन, साधना बल द्वारा स्थापित लूनी धाम के दर्शन करवाने में सफलता प्राप्त हुयी और सद्गुरुदेव ने जहां-जहां भी ज्ञान का प्रवाह किया है, उस दिव्य देव भूमि पर आपको एक बार ले जाने के लिये मैं संकल्पित हूं, मुझे आशा है आप सभी के सहयोग से यह कार्य अवश्य ही पूर्ण होगा।
कार्तिक पूर्णिमा संन्यास महोत्सव सद्गुरुदेवमय चौसठ कला पूर्ण व्यक्तित्व निर्माण का स्वर्णिम अवसर है, जब हम समर्पण, श्रद्धा का पुष्प उनके चरणों में अर्पित कर सदैव उनकी सामीप्यता, कृपा, प्रेम, स्नेह प्राप्त करने की आकांक्षा व्यक्त करें, और उनकी तपस्यांश शक्ति को आत्मसात करते हुये जीवन संग्राम में सफलता प्राप्ति का भाव होता है। इस हेतु आप सभी सद्गुरु के संन्यास स्वरूप पारद विग्रह पर निखिलेश्वर अभिषेक प्रत्येक माह में पूर्णिमा अथवा 21 तारीख को सम्पन्न करें। साथ ही निखिल जन्मोत्सव, संन्यास महोत्सव अथवा किसी भी विशिष्ट शुभ मांगलिक कार्य दिवस व मुहुर्त में परिवार के साथ सद्गुरुदेव का अभिषेक सम्पन्न करने से सांसारिक जीवन में सभी सुखो व भौतिक पदार्थो की प्राप्ति होती है।
शिष्य के जीवन की दिनचर्या में अनिवार्यता होनी चाहिये कि वह अपने गुरु की पूजा, अर्चना, साधना करें। यह शास्त्र मत है कि वह अपने गुरु की आराधना कर वह सब कुछ प्राप्त कर ले, जो उसकी आकांक्षा है, कामना है। निरंतर सद्गुरुदेव की साधना, पूजा से शिष्य सांसारिक जीवन में सही चिंतन व क्रिया के माध्यम से श्रेष्ठता को प्राप्त करता है। इसलिये शिष्य को सदा सद्गुरुदेव से सम्पर्कित रहने हेतु विशिष्ट साधनात्मक क्रियायें करते रहना चाहिये। जिससे चेतना का प्रवाह निरंतर प्राप्त होता रहे और वह उच्चता की ओर अग्रसर हो सके।
सद्गुरु हमें अधंकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं, उनके सानिध्य से हमारे अंतस मन में ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित होती है, जो हमारे जीवन के अज्ञान व अधंकार को समाप्त करने में सहायक होते हैं। इसलिये कहा जाता है कि सांसारिकता में रहते हुये भी हमें सद्गुरु को नहीं भूलना चाहिये। उनका चिंतन, मनन, ध्यान करते रहना चाहिये।
इस संन्यास महोत्सव पर आप सभी यह संकल्प लें कि प्रत्येक माह 21 तारीख को आप अपने व्यस्तम कार्यक्रम से कुछ समय निकाल कर गुरु पूजन, निखिलेश्वर अभिषेक, मंत्र जप अवश्य करेंगे और आपको ऐसा करना ही चाहिये, यह आपका कर्तव्य है, कर्तव्य कि क्रिया करने से ही, आपके जीवन की जो मूलभूत इच्छायें और अधिकार हैं। उनकी प्राप्ति संभव हो पाती है, जो आपके सफल श्रेष्ठ जीवन के लिये अनिवार्य है, आपके मंगलमय जीवन की शुभकामना सहित—–!!!
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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