नूतन वर्ष में प्रवेश के पूर्व सभी साधक-शिष्य, व्यक्तियों की यही अभिलाषा रहती है, कि वह विगत वर्ष की सभी न्यूनता, असफलता को नूतन वर्ष की चेतनामय ताप में भस्मीभूत कर सके और आने वाला वर्ष हर दृष्टि से सफलता युक्त धन-धान्य, भौतिक सुखों से परिपूर्ण बने।
प्रत्येक व्यक्ति ऐसी ही श्रेष्ठतम संकल्प शक्ति के साथ नूतन वर्ष में प्रवेश करने का मानस चिंतन बनाता है, परन्तु उसकी सभी योजना धरी की धरी रह जाती है, जब विगत वर्ष की भांति ही अड़चने और बाधायें, उसके सामने आकर खड़ी हो जाती हैं। योजना और संकल्प करना आवश्यक तो है ही, परन्तु उसके भी पूर्व हमारे जीवन में देव शक्तियों की अनुकम्पा और चेतना की आवश्यकता होती है, आन्तरिक ऊर्जा होने पर ही हम किसी संकल्प, योजना को मूर्त रूप देने में सफल हो सकते हैं।
भगवान गणपति सभी विघ्नों का नाश करने के लिये प्रमुख रूप से प्रचलित हैं, जो जीवन को निर्विघ्न रूप में गतिशील करते हैं। वहीं माँ लक्ष्मी जीवन में अटूट रूप से धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, सुख-सौभाग्य प्रदान करती हैं, जिनकी अभ्यर्थना प्रत्येक कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व की जाती है।
इसी हेतु नववर्ष के प्रारम्भ काल में ही सद्गुरूदेव जी द्वारा शुभ-लाभ लक्ष्मी गणेश सर्व कार्य सिद्धि कवच, नवनिधि, अष्ट सिद्धि, श्री सूक्त मंत्रों से चैतन्य किया गया है, जिसे धारण कर नूतन वर्ष में श्रेष्ठ कार्यों के फल स्वरूप जीवन की सभी विषम स्थितियों, अभाव, अवगुण समाप्त होते ही हैं और साधक सफलता पूर्ण जीवन व्यतीत करता है साथ ही साधक वर्ष भर ऐसी ही दिव्यतम चेतना, ऊर्जा से आपूरित रहता है।
विशेष रूप से नववर्ष के शुभ अवसर पर इस अद्वितीय कवच को विशिष्ट मंत्रों से चेतन्य कर साधकों को प्रदान किया जा रहा है। अतः शीघ्र ही इस कवच को प्राप्त करें।
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