आप सभी ने महाशिवरात्रि पर्व पर सद्गुरुदेव के सानिध्य में पूजन, अभिषेक साधना सम्पन्न की, मुझे भी आप सबसे मिल कर, बात करके बहुत ही प्रसन्नता हुयी। भगवान शिव ने इसी दिवस पर अपने गृहस्थ जीवन का शुभारम्भ किया तथा एक श्रेष्ठ पति व पिता रूप में अपने कर्तव्यों को पूर्ण किया। गृहस्थ जीवन में शिव की आराधना, अभिषेक का शास्त्रेक्त महत्ता अत्यधिक प्रबल है।
हम सदा भगवान अथवा गुरु के पास जाते हैं, अपनी समस्याओं के निराकरण की कामना लेकर। इस संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जिसकी कोई कामना या समस्या ना हो। आपके पास भी अनेक समस्या है, धन का अभाव है, घर में क्लेश है, बच्चे कहा नहीं सुनते, आफिस में कर्मचारियों से सहयोग नहीं मिलता, व्यापार में धन हानि हो रही है। इन सभी समस्याओं के निराकरण की कामना आप में होती है। किसी गंभीर बीमारी का इलाज न करें तो वो मृत्यु का कारण बन जाती है। उसी प्रकार यदि समस्याओं का निवारण न करें तो जीवन मृत्यु तुल्य बन जाता है।
अंग्रेजी में एक कहावत है- You are the creator of your own Reality अर्थात् हम स्वयं के रचयिता हैं, कारक भी हैं और कारण भी। वर्तमान में हम जो भी हैं, जैसा भी हैं, उसके कारण, कर्त्ता और निर्माता हम ही हैं।
हमारी आज की जो स्थिति है, वह हमारी ही बनाई हुयी है। अच्छी-बुरी जो भी है, हमारे कारण ही है। बुरी स्थितियों को सुस्थितियों में बदलना भी हमारे हाथ में है और यह सब हम साधनाओं, मंत्र जप, ध्यान के द्वारा कर सकते हैं। हमने मनुष्य जन्म लिया है, तो हमें सभी सांसारिक सुख-सुविधाओं का भोग करने का अधिकार है। मेरी भी इच्छायें हैं, कि एक विशाल नारायण आश्रम हो, हर घर में गुरु के ज्ञान का सम्मान हो, हर व्यक्ति गुरु की महत्ता समझें। मेरी अनेक समस्यायें भी हैं कि बहुत से शिष्य परम पूज्य सद्गुरुदेव जी के आज्ञा का पालन नहीं करते, पत्रिका का अध्ययन व सदस्यता नहीं प्राप्त करते।
दैनिक गुरु पूजन, साधना में उनकी कोई रूचि नहीं होती। अब इन सबका निवारण मुझे ही करना है, शिष्यों में ऐसी चेतना का विस्तार करना है, कि उनमें जागरूकता आ सके। अधिक से अधिक स्थानों पर शिविर का आयोजन हो सके, जन-कल्याण में निखल ज्ञान शक्ति को संसार के प्रत्येक कोने तक पहुंचाना है। यह तभी संभव है, जब आप और हम मिलकर एक प्रयास करें और जीवन की प्रत्येक समस्या पर विजय प्राप्त करें।
ऐसा ही अद्भुत पूर्ण चैतन्य दिवस 21 अप्रैल 2017 को है, जब हम सब मिलकर सिद्धाश्रम के प्राण रूप सद्गुरुदेव भगवान नारयण का जन्मोत्सव पूर्ण उत्सवमय रूप में सम्पन्न करेंगे। यह दिवस वास्तविक रूप से निखिल शिष्यों के अहो- भाग्य का दिवस है, उनके सम्पूर्ण जीवन की पूंजी है। अनेकों जीवन के तपस्या का फल, सम्पूर्ण जीवन का सारभूत है। जिनका जीवन सद्गुरुदेव नारायण की चेतना से जाज्वल्यमान है, जो निखल के हैं—! वे अवश्य ही इस सिद्धाश्रम शक्ति युक्त पूर्ण जीवन्त जाग्रत जन्मोत्सव में उपस्थिति होंगे। आप सभी को हृदय भाव से आमंत्रण है।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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