प्रत्येक व्यक्ति ऐसी ही श्रेष्ठतम संकल्प शक्ति के साथ नूतन वर्ष में प्रवेश करने का मानस चिंतन बनाता है, परंतु उसकी सभी योजना धारी की धारी रह जाती है, जब विगत वर्ष की भांति ही अड़चने और बाधायें, उसके सामने आकर खड़ी हो जाती हैं। योजना और संकल्प करना आवश्यक तो है ही, परंतु उसके भी पूर्व हमारे जीवन में देव-शक्तियों की अनुकम्पा और चेतना की आवश्यकता होती है, आन्तरिक ऊर्जा होने पर ही हम किसी संकल्प, योजना को मूर्त रूप देने में सफ़ल हो सकते हैं। गणपति विनायक सभी विघ्नों का नाश करने के लिये प्रमुख रूप से प्रचलित हैं, जो जीवन को निर्विघ्न रूप में गतिशील करते हैं। भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं, जिनकी आराधना प्रत्येक कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व की जाती है।
इसी हेतु नववर्ष के प्रारम्भ काल में ही रिद्धि-सिद्धि विनायक सर्व कार्य सिद्धि लॉकेट नवनिधि, अष्ट सिद्धि, श्री सूक्त मंत्रों से चैतन्य किया गया है, जिसे धारण कर नूतन वर्ष में श्रेष्ठ कार्यो के फ़ल स्वरूप जीवन की सभी विषम स्थितियां, अभाव, अवगुण समाप्त होते ही हैं और साधक सफ़लता पूर्ण जीवन व्यतीत करता है साथ ही साधक वर्ष भर ऐसी ही दिव्यतम चेतना, ऊर्जा से आपूरित रहता है।
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