जब यह अंक आपके हाथ में होगा तो नवरात्रि का पर्व समीप होगा। नवरात्रि का पर्व शक्ति, बल, बुद्धि, ज्ञान, सुख समृद्धि ऐश्वर्य वैभव और लक्ष्मी आगमन का पर्व है, शक्ति के ये नव दिवसों में जो कि श्रेष्ठ, मुहुर्त युक्त है, इन दिवसों में शक्ति को धारण करने से निश्चिन्त रूप से जीवन के अधिकांश कार्य श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होते हैं, उससे आने वाला नूतन वर्ष सभी दृष्टियों से उन्नतिदायक सिद्ध होता है।
शक्ति की साधना करना तो प्रत्येक साधक का कर्तव्य है क्योंकि शक्तिहीनता जीवन का अभिशाप है और उस अभिशाप का निवारण शक्ति को पूर्ण रूपेण नव रूपों में धारण करना श्रेष्ठ रहता है। प्राचीन मंत्र यंत्र विज्ञान में शक्ति प्राप्ति की अनेकों साधनायें दी गयी है। नवरात्रि के शुभ मुहुर्त में नूतन-नूतन रूप में अपने आपको निर्मित कर महात्रिपुर सुन्दरी दीक्षा से जीवन के चारों पुरूषार्थों की प्राप्ति संभव हो पाती है। साथ ही जीवन साधनमय बनता है। यह दीक्षा भू-भवः, स्वः महाशक्तियों से उद्भुत् है। जीवन के अनेक रावण रूपी शत्रु रोग-शोक, जरा, पीड़ा स्वतः ही समाप्त होती है और हमारा चिंतन यही रहता है कि हम जीवन में निरंतर सद् स्थिति की ओर अग्रसर हों, परन्तु यह भी याद रहें कि केवल मात्र साधनाओं के करने मात्र से शक्ति की प्राप्ति संभव नहीं होती। इसके साथ-साथ कर्म भी अनिवार्य है। चाणक्य कहते है
अर्थात् कार्य करने वाले पुरूष के पास ही शक्ति और सम्पदा आती है और जो पुरूषार्थ करता है, उसका लक्ष्य अवश्य ही सम्पन्न होता है, देवता भी पुरूषार्थ के पीछे-पीछे चलते हैं।
अर्थात् जीवन वृत्ति आर्थिक समृद्धि का मूल आधार है, धर्म और काम का आधार अर्थ है, कार्य का मूल आधार शक्ति है। इसीलिये मनुष्य को अपनी मानसिक-शारीरिक, आत्मिक शक्ति से निरंतर युक्त होना आवश्यक है।
जीवन में श्रेष्ठ लोगों से हमारा सम्पर्क होना चाहिये। श्रेष्ठ लोगों के साथ बढ़ते रहना चाहिये और श्रेष्ठ लोगों से बढ़कर आत्मीय जनों का हमारे पास भंडार होना चाहिये। जिंदगी के बुरे वक्त में कुछ भी नहीं काम आता। केवल आत्मीय जन ही हमारे पास होते हैं। वह ही काम आते हैं। अतः जिनके पास आत्मीय जन होते हैं, वह ही संबल होते हैं। इनकी उपस्थिति बुरे वक्त में हमारे आत्मबल को बढ़ाती है तथा भीतर के भय को समाप्त करती है। आत्मीय जनो, मित्रों, सहयोगियों के संग्रह की प्रक्रिया स्व अहंकार के विसर्जन से शुरू होती है। अतः हम अहंकार से मुक्त होकर ही दूसरों को अपना बना सकते हैं। यह जीवन का एक उत्तम संग्रह है।
आत्मीय जन, मित्र, एवं सहयोगी ही हमारे लिये कुबेरवत् स्थितियां है।
गुरुधाम जोधपुर व दिल्ली इन शक्ति दिवसो पर सद्गुरुदेव द्वारा शक्तिपात दीक्षा व विशिष्ट विधान द्वारा नवरात्रि पर्व पर नवशक्तियों से युक्त दीक्षाओं का विधान किया गया है।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,