हरिप्रिया होने के कारण विष्णु-लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा जाता है। जिस घर में तुलसी की नित्य पूजा, आराधना होती है, वहां निश्चित ही लक्ष्मी का वास होता है, साथ ही परिवार में प्रसन्नता और आरोग्यमय स्थितियां बनती हैं।
वातावरण को शुद्ध करने में तुलसी का अद्भुत योगदान है। तुलसी शारीरिक व्याधियों को दूर करने वाली बहुपयोगी वनस्पति है। साथ ही तुलसी को नित्य अर्घ्यं प्रदान करने से मन निर्मल होता है व भावो एवं विचारो में पवित्रता आती है। जो साधक नित्य सुबह स्नान कर तुलसी को दीपक दिखाता है, उसके समस्त पाप-दोष समाप्त हो जाते हैं। तुलसी और काले धतूरे के पौधे को नित्य 1 वर्ष तक शुद्ध जल में थोड़ा कच्चा दूध मिलाकर अर्घ्यं देने से साधक के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं।
भारतीय संस्कृति में तुलसी को मातृ स्वरूपा माना गया है। सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लगभग सभी घरों में नित्य तुलसी की पूजा, आराधना सम्पन्न कर ही दैनिक कार्यों में प्रवेश किया जाता है, कुछ भारतीय स्त्रियां तो ऐसी भी हैं जो बिना तुलसी को अर्घ्यं दिये जल भी नहीं ग्रहण करती।
परंतु यदि परंपराओं के निर्वाह के स्थान पर पूर्ण विधान से पूजन सम्पन्न किया जाये तो साधक गण कोटि गुणा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसी हेतु तुलसी पूजन के विधान को प्रथम बार आपके सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है। हमे विश्वास है कि इस विधान को आप अपने दैनिक क्रियाओं में सम्मिलित कर मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बन सकेंगे। साथ ही आपको यह बताना आवश्यक है, कि परम वंदनीय माता जी असाध्य अवस्था में भी पिछले कई वर्षों से नित्य तुलसी को अर्घ्यं प्रदान कर ही दैनिक कार्यों में सम्मिलित होती हैं और उनकी ही प्रतिछाया स्वरूप वंदनीय माता शोभा श्रीमाली जी के भी दैनिक कार्यों का प्रारम्भ तुलसी पूजा से ही होता है। शिष्य-शिष्याओं को प्रेरणा स्वरूप इन्हीं मातृ शक्ति स्वरूपा भगवती के जीवन का अनुसरण निश्चित रूप से करना चाहिये।
तुलसी पौधे का स्थापना ऐसी जगह पर हो जहां स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा सके। उस स्थान को हमेशा स्वच्छ व पवित्र बनाये रखें। तुलसी के पत्तों को स्वच्छ बनाये रखने के लिये नित्य उस पर पानी के छीटें डालते रहें। तुलसी पौधे के सामीप्य एक शिला (छोटा चबूतरा) पर शालिग्राम विग्रह का स्थापन आवश्यक माना जाता है।
सर्वप्रथम शालिग्राम विग्रह व तुलसी को चंदन, अक्षत, धूप, दीप, लाल पुष्प अर्पित करें।
पश्चात् तुलसी स्तुति करें-
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये तुलसी को अर्घ्यं दें-
महाप्रसाद जननीये सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि-व्याधि हरा नित्यंये तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी वंदना करें-
तुलसी श्रीमहालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनः प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पप्रिनी श्रीहरप्रिया।।
पूर्णता के साथ तुलसी नामाष्टक का पाठ करें-
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रेतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
तुलसी का प्रतिदिन पूजन करने से घर में धन, सम्पदा, वैभव, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही परिवार का प्रत्येक सदस्य कुशल व आरोग्य जीवन प्राप्त करता है और प्राण शक्ति की वृद्धि होती है।
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