महाशिवरात्रि का तात्पर्य ही शिवस्वरूप पूर्णता को प्राप्त होना है अर्थात् जीवन के अभावों का शमन हो सके साथ ही सूर्य की चैतन्यता को वर्ष के सूर्य ग्रहण काल में परम पूज्य सद्गुरूदेव कैलाश जी के सानिध्य में 08] 09] मार्च को सर्वदाय महोदेवोहऽम् दीक्षा महोत्सव कैलाश नारायण धाम दिल्ली में सम्पन्न होगा। जिससे जीवन की मृत्यु तुल्य स्थितियों का शमन हो सकेगा और साथ ही सूर्य की तेजस्वी शक्ति जो ग्रहण काल में विशेष सक्रियता युक्त होती है उस विशेष क्षणों में प्रवाहित शक्ति को आत्मसात कर साधक जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं को भस्मीभूत कर आने वाले नूतन वर्ष में हर दृष्टि से पूर्ण वैभव, सुख-समृद्धि, सौभाग्यता, आरोग्यता, दीर्घायु, यश-कीर्ति, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा युक्त जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति कर, अपने जीवन को उज्ज्वलता और श्रेष्ठता की ओर अग्रसर कर सकेंगे।
ग्रहण काल ऐसा स्वर्णिम अवसर होता है, जब पूर्णता स्वयं प्राप्त होने के लिये साधक का द्वार खटखटा रही होती है, क्योंकि यह क्षण ही साधना में पूर्णता प्राप्त कर लेने के होते है, साथ ही महाशिवरात्रि 9 मार्च से 22 मार्च होली तक तंत्र सिद्धि दिवस होते है और महाशिवरात्रि की पूर्णता के साथ ही साधक शक्तिपात दीक्षा प्राप्त कर सूर्य या किसी भी साधना को आरम्भ करने से साधना में सफलता प्राप्त होती ही है। सूर्य ग्रहण मंत्र सिद्धि दिवस की चैतन्यता में पड़ रहा है इसीलिये श्रेष्ठतम साधक ऐसे क्षणों का लाभ उठाने हेतु निरन्तर प्रयासरत रहते है। जिससे कि वे निश्चित समय पर दीक्षा प्राप्त कर, साधना आरम्भ कर अपने जीवन में साधना और दीक्षा की अक्षुण्णता का प्रभाव निरन्तर गतिशील कर जीवन में सुख-समृद्धि और सम्पन्नता प्राप्त कर सके।
कामाख्या कामरूप क्रियात्मक चेतना साधक की सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करती है और जीवन में आनन्द, सुख, सौभाग्य, आरोग्यता तथा साधनाओं में सिद्धि प्राप्त होती है इसी हेतु चन्द्र ग्रहण और होलिका के सुश्रेष्ठतम अवसर पर 22-23 मार्च को कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर में चन्द्र ग्रहण युक्त कामाख्या कामरूप होलिका महोत्सव सम्पन्न होगा। जिसमें कामाख्या कामरूप चैतन्य दीक्षा, राज राजेश्वरी वैभव कमला महाविद्या दीक्षा, नृसिंह भैरव शक्ति दीक्षा, चन्द्रेश्वर सम्मोहन वशीकरण होलिका यक्षिणी लॉकेट, अक्षुण्ण धन लक्ष्मी साधना, हवन, अंकन की श्रेष्ठतम क्रियायें सम्पन्न होंगी। जिसके माध्यम से साधक की कामनाओं एवं इच्छाऐं पूर्ण होकर जीवन में सौन्दर्य, सम्मोहन, वशीकरण, निर्भयता, शत्रु शमन और अक्षुण्ण धन वैभव के साथ चैतन्य शक्ति को पूर्णताः से आत्मसात कर सकेंगे।
होली उल्लास और रंगों का पर्व है यही रंग आपके जीवन में स्थायी भी हो सकते हैं। तांत्रिक और साधक ही सही रूप में होली का महत्व समझते हैं क्योंकि होलिका दहन की रात सामान्य रात नहीं होती। और इसी के साथ उस रात्रि में चन्द्र ग्रहण का योग। यह तो साधनात्मक क्रियाओं का ऐसा सिद्ध योग है जिसकी कोई मिसाल ही नहीं। दीपावली की रात के बाद यही तो होती है वह रात जिस दिन कोई भी साधना, चाहे वह तांत्रोक्त हो या मांत्रोक्त यदि सम्पन्न की जाये तो पूरा-पूरा फल देती है। चैत्र-नवरात्रि अर्थात् नए वर्ष के प्रारम्भ से पहले विशेष सौभाग्यदायक साधनायें सम्पन्न कर लेने से आगामी वर्ष पूरी तरह से उल्लास, सफलता और सुख-शांति में व्यतीत होता है।
होली तो पूरे वर्ष का पर्व है, यों तो प्रत्येक पर्व वापस एक साल बाद ही आता है लेकिन जो होलिका-दहन की रात्रि को चूक जाता है वह केवल एक साल ही नहीं, जीवन की बेशकीमती घडि़यां खो देता है, क्योंकि एक साल बाद कुछ कहा नहीं जा सकता कि क्या स्थितियां हों——–
होली एक तांत्रोक्त पर्व होने के साथ-साथ वर्ष का द्वितीय ग्रहण शक्ति जो चन्द्रग्रहण के सुश्रेष्ठतम ग्रहयोग में साधक उचित मनेच्छा से कामाख्या दीक्षा प्राप्त कर कामेश्वरी शक्ति कामाख्या साधना का प्रारम्भ करता है तो उसको साधना में सफलता प्राप्त होती ही है। क्योंकि यह क्षण ही गृहस्थ जीवन और आध्यात्मिक दोनों पक्षों में पूर्णता प्राप्त कर लेने के होते है। इसीलिये श्रेष्ठ साधक, शिष्य इस क्षण का पूर्ण लाभ उठाते ही है और पूर्ण क्षमता के साथ अपने सद्गुरु के बताये हुये मार्ग पर गतिशील होकर साधना में सफलता प्राप्त करते ही है। प्रत्येक साधक-शिष्य को इन महत्वपूर्ण क्षणों को पूर्ण लाभ उठाना चाहिये जिससे उनके जीवन में से दीन-हीन मलिन दरिद्रता जैसी स्थितियों का शमन होकर एक नवीन नूतन चैतना का प्रवाह बन सके और जीवन में सुख-समृद्धि, सम्पन्नता, आरोग्यता, कार्य सफलता की प्राप्त कर सकें।
अपने जीवन में हर स्वरूप में श्रेष्ठता और नूतनता की प्राप्ति के लिये क्रियाशील जो ज्योति सद्गुरुदेव ने प्रज्ज्वलित की है, उसकी सुरक्षा की व्यवस्था का नियोजन करना पड़ता है। क्योंकि उन्हें अपने शिष्यों में से इसके लिये समर्थ व्यक्ति नहीं मिल रहे। इसके उपरांत भी हम स्वयं को उनका शिष्य कहते रहे-यह कितना बड़ा विद्रूप है! कि आप गुरू जन्मोत्सव जैसे अवसर पर आते भी हैं, तो किसी साधना या सिद्धि अथवा भौतिक लाभ की आकांक्षा के वशीभूत होकर। क्या पूरे वर्ष में एक दिन भी हम निश्छल भाव से स्वयं को गुरू चरणों में, जैसे हैं उसी रूप में सौंप नवीन जन्म की प्रार्थना कर सके इसी हेतु चैत्रीय पूर्णिमा महावीर जयंती, हनुमान शक्ति युक्त सद्गुरु जन्मोत्सव सिद्धिदात्री महामाया की चैतन्य भूमि पर नारायण-लक्ष्मी शिव-गौरी कार्तिकेय विजय श्री शक्ति युक्त साधनात्मक क्रियायें प्रवचन, साधना, दीक्षा, हवन, अभिषेक, अकंन, पूजन सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी के सानिध्य में महामाया अम्बे सिद्धिदात्री सद्गुरु जन्मोत्सव 19-20-21 अप्रैल को दशहरा मैदान टाउन हॉल, धारमजयगढ़, रायगढ़ (छ-ग) में सम्पन्न होगा। यह शिष्यत्व जन्मोत्सव है ऐसे दिव्य अवसर पर प्रत्येक समर्पित साधक या भक्त अपने पूरे मन के भावों को अर्पित करने तथा भौतिक कामनाओं की पूर्णता के साथ बल, बुद्धि, लक्ष्मी, सम्पन्नता, आयु वद्धि, धन वैभव और शिव स्वरूप सद् गुरुदेवमय शक्तियों से युक्त होकर साधक सभी सुखों से और हर दृष्टि से सद्गुरूमय बनने की ओर अग्रसर होता ही है।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,