वही आनन्द-साहस शक्ति ओज अगर सात्विकता से हमको प्राप्त हो सकता है।
जब आप अपने प्रिय से मिलते हो, या आपके घर में कोई शक्ति या आपका प्रमोशन हुआ हो या बच्चे का दसवीं या 12वीं में अच्छे अंक प्राप्त किये हो तो एक अद्भूत आनन्द की प्राप्ति होती है या फिर जब आप अपने गुरू से या अपने प्रेमी प्रेमिका से मिलते हो तो एक अद्वितीय आनन्द का अनुभव होता है पर वह भी उस नशे कि भाती क्षणिक होता है। फिर कोई विपदा आती है तो वह नशा आनन्द चूर-चूर हो जाता है।
कितना अद्भूत हो अगर वह आनंद का भाव सदैव हमारे साथ रहे और यह तभी सम्भव है जब हमारे रोम प्रतिरोम में हमारे कण-कण में गुरू समाहित हो- तब वह आनंद -खुशी हर्ष का पल क्षणिक नहीं होगा वह ऐहसास सदैव हमारे साथ रहेगा। साधक के जीवन का मूल तो गुरू भक्ति में ही है। जब तक यह भक्ति जीवंत रहेगी तब तक यह आनंद का नशा आपके साथ रहेगा।
इस 19-20-21 अप्रैल को दुर्ग (छ.ग.) में आप सभी परिवार सहित इस आनन्द को, शक्ति को अपने में आत्मसात् करने-सद्गुरू आत्म शक्ति जाग्रत हनुमान बल-बुद्धि सहस्त्र लक्ष्मी साधना महोत्सव में अवश्य सम्मिलित हो।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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