उसी प्रकार हमे भी आज के युग में आस्तिक होना बहुत आवश्यक है। अगर हम मन में संदेह रखेंगे व अविश्वास के फलस्वरूप किसी भी कार्य को प्रारम्भ ही नहीं कर पायेंगे और वहीं दुःख पाता है जो विश्वास नहीं रखता व नास्तिक विचार धारा का होता है। जब उसे किसी में विश्वास ही नहीं किसी मे श्रद्धा ही नहीं हे तो उसके कार्य सुफल युक्त होंगे ही नहीं। हम किसी में विश्वास इसलिये रखते है क्योंकि हमे अनिश्चितता में, अज्ञानता में कोई सुरक्षित रखेगा, हमें या तो संरक्षण करेगा या शरण देगा। बस हमें वो विश्वास बनाये रखना है हम गिरेंगे तो हमें उठाने वाला कोई हैं ये हमें समझना है।
हमें अपने नकारात्मक विचारों को निरन्तर निकालने का कार्य करना ही होगा। साथ ही कार्य के सम्पन्न करने के नियमों का पालन करने से ही जीवन में सुस्थितियां आती है। अतः स्वयं के स्वभाव में परिवर्तन लाना होगा ओर ये सम्भव तभी होगा जब हम अपनी श्रद्धा ओर विश्वास युक्त धैर्यता से क्रियाशील रहेंगे।
हमें अपने लक्ष्य तक पहुचने के लिये धैर्य तो रखना ही होगा जब कोई कार्य को सिद्ध करने के लिये हमने निश्चय किया है तो छोटी-छोटी रूकावटों से हार मानकर लक्ष्य पूर्ति हेतु कर्म भाव को त्याग देते है तो हम स्वयं ही मेहनत पर पानी फेर देते है। थोड़ा सा और समय थोड़ी सी और सहन और सबल शक्ति से ही आप अपने लक्ष्य को पा सकोगे।
सद्गुरूदेव जी व कैलाश सिद्धाश्रम परिवार निरन्तर हर समय साधको के हित के लिये कार्यरत है, आने वाले हर उत्सव, त्यौहार, साधना पर्व व दीक्षा महोत्सव को आप सभी आत्मबल व विश्वास के साथ सम्पन्न करे।
सूर्य ग्रहण युक्त शनि जयन्ती महापर्व पर कैलाश सिद्धाश्रम में शनिश्चराय वैदिक पाठ व हवन का आयोजन होगा।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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