लहसुनिया की विशेषता
लहसुनिया केतु का रत्न है, इसे सूत्रमणि भी कहा जाता है। माना जाता है, इसे धारण करने से शारीरिक दुर्बलता समाप्त हो जाती है और वीर्य, ओज, तेज में वृद्धि) होती है। यह रत्न दमा अथवा सांस सम्बन्धित रोगो में लाभकारी है। लहसुनिया आध्यात्मिक गुणों में विकास करता है और केतु के सभी प्रकार के दोषों से निवृत्ति होती है।
लहसुनिया के लाभ
लहसुनिया जीवन में उत्तम प्रभाव करने में समर्थ होता है। इसे धारण करने से संतान सुख वृद्धि), सम्पत्ति, स्थिर लक्ष्मी एवं आनन्द, सुख-शान्ति में वृद्धि) होती है। भूत-प्रेत का भय इसे धारण करने से समाप्त हो जाता है। यह प्रबल शत्रु संहारक रत्न है, जिसे धारण करने से किसी भी प्रकार के शत्रु निस्तेज व पराजित होते हैं।
लहसुनिया कौन धारण करे
जिसकी कुण्डली में केतु ग्रह दूषित, दुर्बल या अस्त हो, उसे लहसुनिया धारण करना चाहिये। यदि केतु ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो लहसुनिया धारण करना चाहिये। केतु से सम्बन्धित दोष से मुक्त होने के लिये भी इस रत्न को धारण किया जाता है। शुभ अथवा सौम्य ग्रहों के साथ यदि केतु पीड़ा हो तो लहसुनिया धारण करें।
मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठित लहसुनिया रत्न न्यौछावर राशि 5100/-
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,