माता लक्ष्मी जी का स्वरूप गौरवर्ण है। इनके चार भुजाएं है। ये किरीट-मुकुट तथा दिव्य वस्त्रालंकारों को धारण करती हैं। इन्हें ऐश्वर्य एवं समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी भी कहा गया है। जहां भगवान् श्री विष्णु के साथ श्री लक्ष्मीजी की भी नियमित आराधना होती है, वहां ये स्थिर रूप से निवास करती है। श्री महालक्ष्मी का आसन कमल है, इसलिए इन्हें कमला या कमल-वासिनी भी कहा जाता है। धर्म का आचरण करने वाले सद् व्यक्ति के पास ऐश्वर्य व समृद्धि स्वयं लक्ष्मी प्रदान करती है।
दीपावली के दिन प्रसन्नता पूर्वक पूरे संसार में लक्ष्मी और विष्णु की पूजा कर भक्त अपने जीवन को विष्णु स्वरूप में पालनकर्त्ता और लक्ष्मी स्वरूप में लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए क्रियाशील रहता है। उसी दिन से यह मान्यता है कि कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि में जो पूर्ण विधि-विधान सहित लक्ष्मी का पूजन करता है उसे लक्ष्मी और विष्णु की पूर्ण कृपा प्राप्त होती ही है। ऐसे आख्यान तो हजारों है लेकिन यह निशि्ंचत है कि लक्ष्मी का पूजन सम्पन्न करने से भीतर और बाहर का अन्धकार समाप्त होता है साथ ही ज्ञान और धन दोनों की ज्योति और दिव्यता प्राप्त होती है।
गुरु अपने शिष्य के जीवन में अपनी तेजस्विता और तप ऊर्जा प्रवाहित करते रहते है, चाहे वह शक्तिपात के माध्यम से या विशेष दुर्लभ साधनाओं के माध्यम से। ध्येय यही रहता है कि जीवन में आप उत्तरोतर वृद्धि करें, धन-धान्य-यश, कीर्ति एवं लक्ष्मी तत्व का समावेश अपने जीवन में कर सके और आरोग्यता व सम्पन्नता आ सके।
अतः सभी तत्वों का जीवन में एक साथ समावेश करने का श्रेष्ठतम अवसर दीपावली है क्योंकि इस दिन माता गौरी-लक्ष्मी की चेतना व ऊर्जा चराचर ब्रह्माण्ड में पूर्ण रूपेण व्याप्त रहती है। दीपावली की रात्री को ही दिव्य मुहूर्त सिंह लग्न और वृष लग्न आते है ऐसे योग में पूजा अर्चना, साधना का कोटि कोटि अक्षुण्ण फल निश्चित प्राप्त होता ही है।
इन सारे तथ्यो को ध्यान में रखते हुए आपके जीवन में पूर्ण सम्पन्नता व उच्चता को प्रदान करने हेतु स्वयं पूज्यपाद गुरुदेव ने षोड्षपचार पूजन कर विशेष शक्ति मंत्रों से तथा श्री सूक्त के लक्ष्मी मंत्रों युक्त लक्ष्मी सफलता प्राप्ति योग में मंत्र सिद्ध और अपनी तप उर्जा से आप्लावित कर यह अवर्चनीय स्वर्ण खप्पर वसुधा महालक्ष्मी साधना पैकैट आपके लिए निर्मित किया गया है, जिससे प्रत्येक साधक यह साधना सम्पन्न कर अपने जीवन को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर कर लक्ष्मी स्वरूप लक्ष्यों की प्राप्ति कर सके।
इन्हीं क्रियाओं की पूर्ति हेतु इस साधना में स्वर्ण खप्पर यंत्र, वसुधा लक्ष्मी माला, गोमती चक्र, मोती शंख, श्री फल युक्त पैकैट विधि सहित मात्र दो वर्षीय पत्रिका-सदस्यता के साथ उपहार स्वरूप में दी जायेंगी। जिससे दीपावली पर लक्ष्मी को पूर्णरूपेण आबद्ध कर सके।
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