बंगाल की भूमि ही ऐसी दिव्यतम है कि इस पर बड़े-बड़े तांत्रिक शक्ति की उपासना करने में अपना सौभाग्य समझते हैं। वाम देव, जिन्हें वामा खेपा के नाम से जाना जाता है वो मां तारा के अनन्य भक्त थे और मां तारा को उन्होंने सिद्ध किया था, और भी कई श्रेष्ठ साधकों के इस बंगाल की पावन भूमि पर जन्म लिया और अपने आध्यात्मिक बल और तप बल से सारी दुनिया को ये संदेश दिया कि जीवन में हर तरह की शक्ति जो कि सकाम् युक्त हो उसकी प्राप्ति केवल और केवल शक्ति की साधना, आराधना करके ही पूर्णरूपेण स्वरूप में जीवन में उतारी जा सकती है।
पार्वती स्वरूपा सती का नेत्र जिस स्थान पर गिरा वही स्थान तारा पीठ नाम से प्रसिद्ध है। वशिष्ठ जी ने ऋर्षित्व जीवन में माँ तारा शक्ति की तपस्या, आराधना कर ही अपने आश्रम को दिव्यतम बनाया और वशिष्ठ ही वे महान ऋर्षि हुये जिन्होंने राजा दशरथ को अयोध्या का राज कार्य चलाने के लिए प्रचुर मात्रा में हीरे-जवाहरात, स्वर्ण मुद्रायें प्रदान की उसी के फलस्वरूप अयोध्या राज्य श्रेष्ठतम बन सका। ऋर्षि वशिष्ठ ने आद्या तारा शक्ति की चेतना से ही सामान्य से बालक राम को अस्त्र-शस्त्र, धर्नुविद्या में पारगंत किया उसी के फलस्वरूप केवल राम ही धनुष को उठा सके और सीता का वरण किया। छतीस कला पूर्ण राम को पुरूषोत्तममय बनाया। उसी के फलस्वरूप भगवान श्रीराम जन-जन में वास करते हैं।
सही स्वरूप में अपने जीवन को साधने के लिए निरन्तर साधनात्मक मार्ग पर चलने से मनुष्य अपनी सांसारिक और भौतिक कामनाओं को पूर्णता से प्राप्त कर सकता है,। मां तारा जो साधक के लिये तारणहार स्वरूप है, वो धन प्रदाता स्वरूपा मां तारा की साधना से साधक अपनी अविद्या, द्वैष, अस्मिता, राग, अज्ञानता, अभिनिवेश और इसी से निर्मित दैहिक, दैविक भौतिक संतापो और दुःखों से मुक्त हो सकता है वरन् अपने ज्ञान चक्षुओं के माध्यम से जीवन को धन-यश, सुख-समृद्धि से पूर्णरूपेण सम्पन्न कर सकता है। इसी मां तारा की तपो भूमि पर तारा शक्ति पीठ स्थान पर माघ मास के प्रदोष पर्व पर गुरुदेव श्री कैलाश श्रीमाली जी के सानिध्य में नील तारा शक्ति साधना, दीक्षायें और स्व रूद्राभिषेक सम्पन्न होगा। जिससे कि साधक अपने आप को शिव और शक्ति युक्त बना सके।
नील तारा शक्ति साधना व स्वरूद्राभिषेक
-शिविर स्थल- नजरूल मंच आसनसोल रेलवे स्टेशन के पास, आसनसोल (प-बंगाल)
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,