इस साधना से जहां जीवन के समस्त द्वादश भोगों की प्राप्ति होती है, वहीं यह साधना शरीर के अन्दर के समस्त चक्रों के जागरण के लिए भी सहायक है, किसी भी प्रकार की अन्य साधनाओं में सफलता पाने के लिए भी कामाख्या शक्ति साधना का ही सहारा लिया जाता है। इस साधना की सफलता के लिए ‘सिद्धिदायिनी कामाख्या यंत्र’ और ‘कामरूपेण माला’ एवं ‘9 मधुहारिणी कमल शक्ति बीज’ आवश्यक है। साधकों को चाहिए कि ‘दैनिक साधना विधि पुस्तक’ के अनुसार गणेश और गुरु-पूजन करें तथा एक माला गुरु मंत्र का जप करें।
साधक अपने दायीं ओर चावल से स्वस्तिक बनाकर उसमें कलश स्थापित करके उसको जल से पूर्ण करे दें। उसमे कुंकुम, अक्षत, पुष्प, एक सिक्का, दूब तथा एक सुपारी डाल दें तथा उसमें आम के पांच पत्ते डाल दें और उस पर मौली बंधा हुआ एक नारियल रख दें। उसके बाद कलश को स्नान कराएं और मौली बांधकर चारों दिशाओं में घट पर कुंकुम से तिलक करें तथा अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करके दोनों हाथ कलश पर रख करके निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
शक्ति प्रमोद आदि ग्रन्थों में भगवती दुर्गा का अष्टाक्षरी
मंत्र महत्वपूर्ण माना है।
विन्यास
ह्रीं – माया बीज
दुं – दुख मिटाने व प्रतिष्ठा प्रदान करने में समर्थ
र्गा – भौतिक सम्पति, सुख और सौभाग्य प्राप्त करने में समर्थ
य – आध्यात्मिक चक्रों को जागृत करने और मारूत बीज समर्थ करने में सहायक
ऊँ – प्रणव जो पूरे मंत्र को बांधे रखता है।
नमः – हृदय बीज जिससे कि भगवती दुर्गा प्रत्यक्ष होकर सर्व सिद्धि प्रदान करती हैं।
इस प्रकार यह आठ अक्षरों का मंत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी प्रकार से समर्थ एवं सशक्त है। कामाख्या यंत्र को अपने सामने थाली या किसी प्लेट में स्थापति करें। यंत्र को बायें हाथ में रखकर दाहिने से ढक कर प्राण प्रतिष्ठा हेतु निम्न मंत्र का उच्चारण करें –
यंत्र को प्लेट पर स्थापित कर दें। यंत्र का पूजन कर नैवेद्य अर्पित करें तथा 9 लाल रंग के फूल के साथ कमल बीज निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ायें –
विनियोग
ऊँ अस्य भी दुर्गा मन्त्रस्य श्री नारद ऋषिः।
गायत्री छन्दः श्री दुर्गा देवता मम सर्वाभीष्ट
फल प्राप्त्यर्थें जपे विनियोग।
कर न्यास
ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै अंगुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै तर्जनीभ्यां स्वाहा
ह्रूं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै मध्यमाभ्यां वौषट्
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै अनामिकाभ्यां हुँ
ह्रौं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्
ह्र: ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै करतलकर पृष्ठाभ्यां फट्।।
अंग न्यास
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय हृदयाय नमः
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय शिरसे स्वाहा
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय शिखायै वषट्
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय कवचाय हुं
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय नेत्रयाय वौषट्
ह्रैं ऊँ ह्रीं दुं दुर्गाय अस्त्रय फट्
ध्यान
सिंह स्कन्धा समारूढ़ां नानालंकार भूषितां।
चतुर्भुजां महादेवीं नाम यज्ञोपवीतिनीम्।
रक्त वस्त्र परीधानां बालार्क सद्दशी तनुं।
नारदाद्यैर्मुनि गणैः सेवितां भव गेहिनीम्।
त्रिवली वलयोपेतद नाभि नाल सुवेशिनी।
प्रफुल्ल कमलारूढ़ां ध्यायेत् तां भव गेहिनीम।।
पीठ पूजा
आं प्रभायै नमः। ईमायायै नमः। ऊँ जयायै नमः
ऋ सूक्ष्मायै नमः। लूं विशुद्धायै नमः।
ऊँ ऐं नन्दिन्यै नमः। ऊँ सुप्रभायै नमः।
अं विजयायै नमः। अः सर्व सिद्धिदायै नमः।
अष्ट शक्ति पूजन
जं जयायै नमः विं विजयायै नमः कीं कीत्यै नमः प्रीं
प्रत्यै नमः। प्रं प्रभवै नमः। शुं शुद्धायै नमः।
मैं मेधायै नमः। श्रुं श्रुत्यै नमः।
सर्व सिद्धि मातृका
दुर्गा च कौशिको चोग्रा चण्डा माहेश्वरी शिवा।
विश्वेश्वरो जगद्धात्री स्थिति संहार-कारिणो।।1।।
योग-निद्रा भगवती देवी स्वाहा स्वधा सुधा।।
सृष्टिराहुतिरेवोक्ता स्वाराणां शक्तयः क्रमात् ।।2।।
कला माया रमा ज्येष्ठा स्तुतिः पुष्टिः स्थितिर्गतिः।।
रतिः प्रीतिघृ तिर्नीतिविर्भु तिभु। तिरून्नतिं।।3।।
क्षितिः क्षान्तिः क्षतिः कान्तिः शान्तिः क्लान्तिर्महा द्युतिः।।
क्षुत्पिपासा स्पूहा लज्जा निद्रा चिदात्मिका ।। 4।।
गिरिजा भारतीलंक्ष्मीः शचो संज्ञा विभावरी।।
कादीनां शक्तयः प्रोक्ताः सर्व-सिद्धि-प्रदायिका ।।5।।
मंत्र जप
इसके बाद भगवती कामाख्या मंत्र की 5 माला मंत्र जप कामरूपेण माला से नित्य 9 दिनों तक सम्पन्न करें।
शीघ्र सिद्धि प्राप्ति के लिए नवार्ण मंत्र की 4 माला जप करें।
कामाख्या शक्ति साधना अद्वितीय एवं श्रेष्ठतम शक्ति सम्पन्न हैं तथा तत्काल सहायता करने में सक्षम हैं। साधक इन दस महाविद्या मंत्र का प्रतिदिन 51 बार उच्चारण करें। मंत्र इस प्रकार है-
प्रतिदिन निश्चित समय और निश्चित संख्या में मंत्र जप करें न कम न अधिक।
नवरात्रि के दिनों में अनुष्ठान पूर्ण करना अत्यन्त शुभदायक सिद्ध होता है, यह पूजन विधान नित्य प्रतिदिन करना है। और यदि किसी कारण वश नित्य प्रति पूजन नहीं कर सकें तो प्रथम दिन पूजन अवश्य करें और माला से मंत्र जप तो नित्य संपन्न करें।
कामाख्या देवी वरदायिनी, महामाया, नित्यस्वरूपा, आनन्ददात्री, देवी शक्ति है, ‘गुप्त तंत्र’ में लिखा है कि- कामाख्या ही सर्वविद्या स्वरूपिणी, सर्वसिद्धिप्रदात्री शक्ति है और जो कामाख्या के प्रति उदासीन रहता है उपेक्षा करता है, उसे कभी जीवन में आनन्द, सुख, सौभाग्य तथा सिद्धि प्राप्त नहीं हो पाती, कामाख्या चिन्ता मुक्त करने वाली, जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सभी स्वरूपों को पूर्ण रूप से प्रदान करने वाली देवी है। कामाख्या शक्ति जीवन की रस साधना है, शरीर साधना है, लौकिक साधना है, जो जीवन में कभी सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती, जीवन सम्पूर्ण से जीने की साधना कामाख्या शक्ति साधना है, जिसमें साधक को अपने जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, उसकी इच्छाओं की पूर्ति पूर्ण रूप से सहज संभव हो जाती है। कामाख्या देवी के सम्बन्ध में सामान्य रूप से साधकों के मन में बड़ी भ्रांति बनी हुई है, आद्या शक्ति देवी के इस स्वरूप की साधना के सम्बन्ध में। वास्तविकता यह है कि शक्ति पीठ जीवन की मूल कामाख्या शक्तिपीठ काम शक्ति, निर्माण शक्ति की पीठ है, और कामाख्या शक्ति काम रूपिणि महाशक्ति है, ब्रह्म का ब्रह्मत्व, विष्णु का विष्णुत्व, शिव का शिवत्व, चन्द्रमा का चन्द्रत्व और समस्त देवताओं का देवत्व इसी कामाख्या शक्ति में निहित है, शक्ति का शुद्ध लौकिक सांसारिक स्वरूप कामाख्या ही है।
शक्ति अन्य रूपों में भी पूज्यनीय है संसार में दस महाविद्यायें भी यही शक्ति है इनकी साधना आराधना से साधक को पूर्ण चेतना का प्रवाह निरन्तर उसके जीवन में गतिशील रहता है। परन्तु जब भी वह परेशानियों से ग्रस्त होता है तो निश्चय ही उसके जीवन में शक्ति के प्रवाह की कमी है इसी हेतु अपने आने वाले नूतन वर्ष को पूर्ण रूप से शक्ति से युक्त करने हेतु 22,23,24, 25 जनवरी कैलाश नारायण धाम दिल्ली में गुप्तनवरात्रि के श्रेष्ठतम अवसर पर जीवन को भौतिक सुख-सौभाग्य, आनन्द से ओतप्रोत करने के लिए कामाख्या शक्ति चैतन्य दीक्षा प्राप्त कर नववर्ष को हर दृष्टि से उच्चतम बना सकते है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,