ललिताम्बा जो ब्रह्माण्ड की समस्त सिद्धियों की स्वामिनी है। जहां वह अपने प्रेम, स्नेह और करूणा से साधक को अपना आशीर्वाद प्रदान करती है, वहीं उसे पूर्व जन्मकृत पाप-दोषों से अवगत कराकर, उसके जीवन के समस्त शत्रुओं का विनाश कर उसे एक निर्विघ्न चिन्तामुक्त जीवन प्रदान करती है। और ये शत्रु हैं- उसके भौतिक और आध्यात्मिक जीवन की समस्त न्यूनतायें।
आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति सौन्दर्य युक्त, प्रभाव युक्त, शक्तिशाली एवं अद्वितीय जीवन जीना चाहता है, और इसके लिये भरसक प्रयास भी करता है, किन्तु अपने-आप को असफल एवं असमर्थ ही पाता है, और इस असमर्थता को दूर करने के लिये वह कोई भी मार्ग, कोई भी उपाय करने के लिये तत्पर रहता है, ऐसे क्षणों में यदि सही मार्ग प्रशस्त हो जाये, तो वह अपने जीवन के उन अभावों को दूर एक पूर्ण जीवन की सृष्टि वह कर सकता है।
यह उस मनुष्य का सौभाग्य ही है कि वह भगवती ललिताम्बा सिद्धि की ओर प्रवृत्त हो, क्योंकि अन्य देवियों की अपेक्षा भगवती ललिताम्बा की साधना अपने-आप में उत्कृष्ट और श्रेयस्कर मानी जाती है, वह साधक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है, फिर जीवन में उसे किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं रहता। इसकी साधना से नपुंसक व वृद्ध व्यक्ति भी पूर्ण यौवनवान एवं कामदेव के समान शक्ति युक्त बन जाता है। इसे सम्पन्न करने पर साधक को विभिन्न लाभ प्राप्त होते हैं-
यह साधना बुधवार स्वाति नक्षत्र में सम्पन्न करें। यह तीन दिवसीय साधना है। स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध पीला वस्त्र धारण कर उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठ जायें। सामने पीले आसन की चौकी पर गुरू यंत्र, गुरू चित्र, पंचदेव शक्ति युक्त ज्वालामालिनी यंत्र और ललिताम्बा गुटिका को स्थापित कर पंचोपचार पूजन करें। पश्चात् ललित कला प्राप्ति मूंगा माला से 9 माला तीन दिन तक जप करें।
मंत्र जप समाप्ति के बाद माला एंव यंत्र को किसी जलाशय में विसर्जित कर देना चाहिये।
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