मां तो दयालु, नम्र, ममतामयी होती है जो हर स्थिति में अपने बच्चे की जरूरतों को देखते हुये उसे पूरा करने का प्रयास करती है। इसी प्रकार हर साधक जो कि अध्यात्म के क्षेत्र में प्रवेश करता है वह बालक स्वरूप ही है। वह अपनी बात, अपनी इच्छा, अपने भाव आदिशक्ति मां के सामने प्रकट करता है, और मां ही कृपा कर उसका जीवन परम पुरूषोत्तम मय शिव स्वरूप निर्मित करती है। आदिशक्ति मां का प्रभाव असीम है, उनकी कृपा असीमित है। उनका ज्ञान अनन्त है। उनकी शक्ति अतुलनीय है। उनकी दिव्यता उनका प्रकाश अवर्णनीय है और आदिशक्ति मां ही सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के साथ आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्रदान कर सकती हैं।
ज्ञान की इच्छा रखने वाले साधक के लिये नवरात्रि के नौ दिनों को तीन भागों में बांटा गया है। प्रथम स्थिति में वह ईश्वर को समझने का प्रयास करता है उसकी शक्ति के साथ अपनी शक्ति जोड़ता है। दूसरी स्थिति में वह अपने जीवन रूप को, अपने स्व की स्थिति को समझता है और तीसरी स्थिति में वह आत्म साक्षात्कार संपन्न करता है और पूर्ण शिवमय हो जाता है।
इस वर्ष नवरात्रि विशिष्ट स्वाति नक्षत्र से प्रारम्भ होकर श्रवण नक्षत्र पर पूर्ण हो रही है। सभी साधकों को नवरात्रि के प्रारम्भिक और पूर्णता के दिवसों में दो साधनायें सम्पन्न करनी ही चाहिये। जिससे साधक शक्ति से युक्त होकर जीवन की सभी आसुरी शक्तियों का दमन कर शिव के समान सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुये आनन्दमय, ऐश्वर्यमय, आरोग्यमय, प्रेममय, चिंता रहित, निडर जीवन की प्राप्ति कर सकें। इसी हेतु पूज्य गुरूदेव ने यह निश्चय किया है कि इस वर्ष गुरूधाम दिल्ली और जोधपुर में विशिष्ट साधनायें सद्गुरूदेव के दिव्य सान्निध्य में सम्पन्न करवायी जायेंगी। इच्छुक साधक विशिष्ट दिवसों पर गुरूधाम जोधपुर में 14-15-16 अक्टूबर और दिल्ली में 20-21-22-23-24-25 अक्टूबर को गुरूजी से व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद, साधना सम्बन्धित विशिष्ट दीक्षा प्राप्त कर साधना करने से श्रेष्ठ सफलता अर्जित कर पायेंगे। यदि किसी कारणवश साधक प्रत्यक्ष उपस्थिति ना हो सकें तो वे फोटो दीक्षा प्राप्त कर साधना सम्पन्न करें। आगे के पृष्ठों पर विशिष्ट साधनायें प्रस्तुत की जा रही हैं। साधना प्रारम्भ करने से पूर्व साधना से सम्बन्धित दीक्षा प्राप्त करने का निर्देश इसलिये दिया जाता है कि उस दैवीय शक्ति की चेतना पूज्य गुरूदेव द्वारा आपके शरीर में स्थापित की जा सकें जिससे आप शक्ति से सीधा सम्पर्कित हो सकें। और उस भाव, चेतना, ऊर्जा को पूर्णता से अपने देह में आत्मसात कर सकें। इस हेतु प्रत्येक साधक का यह प्रयास होना चाहिये कि साधना से पूर्व दीक्षा अवश्य प्राप्त करेंगे।
फ़ोटो दीक्षा के लिये जोधपुर कार्यालय में सम्पर्क करें। विशिष्ट मानस शक्तिपात दीक्षा का मुहूर्त फ़ोन पर प्रदान किया जायेगा। जिससे आप अपने पूजा स्थान में साधनारत होकर विशिष्ट अनुभूति प्राप्त कर पायेंगे।
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