ऐसे जीवन से तो मृत्यु अच्छी है। जिनके जीवन में जोश नहीं है, पौरूषता नहीं है, साहस नहीं है, अडिगता नहीं है, क्योंकि किसी ने फ़टकार दिया, तो सुन लिया, कोई अपमान कर गया, तो सह लिया, किसी ने चुनौती दी, तो उसे स्वीकार नहीं कर सके, ऐसे व्यक्तियों को नवनिधि बजरंग कवच को धारण करना ही चाहिये जिससे वे अपने जीवन को शेर की तरह जी सकें। इस कवच के द्वारा कमजोर से कमजोर व्यक्ति में भी चुनौती का सामना करने का साहस आ जाता है। जीवन में सर्वोच्चता पाने के लिये भी मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है। क्योंकि बिना आरोग्य हुये जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफ़ल नहीं हुआ जा सकता है।
श्री हनुमान भूत-प्रेत, नजर दोष, काला जादू, मूठ, रोग, व्याधि, बाधा से साधक की रक्षा और जीवन को श्रेष्ठ सफ़लता की प्रदान करते हैं, साथ ही साधक नव निधि स्वरूप शक्तियां पदमावती, महान्, खैरब, कुण्डल, नील, शंख, कच्छप, मुकुण्ड, मकर से युक्त होकर महावीरमय बनने की ओर अग्रसर होता ही है। इस कवच को 10 नवम्बर हनुमान जयंती कार्तिक कृष्ण नरक चतुर्दशी के चैतन्य मुहूर्त में नवनिधि हनुमान मंत्र का 108 बार जप कर धारण करें।
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