कुछ व्यक्तियों के लिये घटना हमेशा उस विशेष बात की विरोधी होती है जिसकी वह चाहत रखते है अथवा जिसे वह अपने लिये अच्छा समझते हैं। इसके फलस्वरूप प्रायः ही वह मनुष्य निराशा का अनुभव कर रहे है। क्या हमारे जीवन के विकास हेतु यह आवश्यक है। निराशा कभी भी विकास के लिये आवश्यक नहीं होती, यह सदा दुर्बलता और तमस् का चिन्ह होती है। यह प्रायः ही एक विरोधी शक्ति की उपस्थिति का द्योतक होती है। एक ऐसी शक्ति जो जान बूझकर साधना के विरोध में काम करती है।
इसलिये जीवन में स्थिति-परिस्थितियाँ चाहे जैसी हो, हमें सदैव निराशा से दूर रहना चाहिये, क्योंकि निराश, उदासी तथा हताश रहने की यह आदत वस्तुतः परिस्थितियों पर निर्भर नहीं होती, बल्कि यह प्रकृति में विश्वास न होने से उत्पन्न होती है। जिस व्यक्ति में विश्वास होता है, चाहे वह केवल अपने ऊपर ही क्यों न हो, वह सब कठिनाई और बाधाओं का भी, बिना निराश हुये सामना कर सकता है। जिन व्यक्तियों की प्रकृति में विश्वास नहीं होता उन्हीं में सहनशीलता और साहस का भी अभाव होता है। क्योंकि सभी गलत कार्य मन से ही उत्पन्न होते हैं। यदि हम अपने मन पर नियंत्रण कर अपने मन को ही परिवर्तित कर दे। तो कोई गलत कार्य जैसा कुछ भी नहीं रहेगा। हम हमारे मन में जो सोचते है, उसी के अनुरूप कार्य कर हम वैसे ही बन जाते हैं, इसीलिये हमें अपने मन में हमेशा सकारात्मकता सोच रखकर लक्ष्य को पाने का प्रयास जारी रखना चाहिये।
लक्ष्य जीवन को एक अर्थ देता है, उसके अस्तित्व का एक कारण होता है और यह कारण एक प्रयास की अपेक्षा करता है और उस प्रयास में ही हमें आनन्द मिलता है। प्रयास ही आनन्द देने वाली चीज है। जो मनुष्य प्रयास नहीं करता अथवा प्रयास करना नहीं चाहता तो उसे कभी आनन्द नहीं मिलता। क्योंकि जो लोग मूलतः आलसी प्रवृति के होते हैं, उन्हें कभी आनन्द नहीं मिलता, उनमें आनन्दित होने की क्षमता ही नहीं होती और वही आनन्द से वंचित रह जाते है।
प्रयास ही आनन्द देता है। जीवन में कोई लक्ष्य बड़ा, जटिल, दुर्गम नहीं होता है, जीतता वहीं है और निरंतर निडर होकर प्रयासरत रहता है। वही सफलता भी हासिल कर पाता है। ‘अधिाकतर लोग ठीक उस समय हार मान लेते हैं, जब सफ़लता उन्हें मिलने ही वाली होती है। विजय-रेखा बस एक कदम की दूरी पर होती है, तभी वे प्रयास करना बंद कर देते है और खेल के मैदान से अंतिम मिनट में हट जाते हैं, जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फ़ुट की दूरी पर होता है।’
सफलता की शुरूआत इंसान की इच्छा से होती है, यह सब कुछ हमारी सोच पर निर्भर करता है। आज नहीं तो कल जीतता वही आदमी है जिसे यकीन है कि वह जीतेगा। ज्यादातर लोग जीतना तो चाहते है, लेकिन जीत हसिल करने के लिये मेहनत और वक्त नहीं लगाना चाहते। सफलता पाने के लिये निरन्तर प्रयास की जरूरत होती है। ‘ हम जितनी कड़ी मेहनत करेंगे। भाग्य हम पर उतना ही मेहरबान होगा। कडी मेहनत करने वाले लोगों की उम्र, तर्जुबा, और शैक्षिक योग्यता, जो भी हो उनकी मांग हर जगह होती है।
हम अपने स्वयं को इतना मजबूत बना ले कि हमारे मन की शांति कोई भंग न कर सकें। हम प्रत्येक मिलने वाले व्यक्ति से सेहत, खुशी और समृद्धि की बात करें। अपने सभी रिश्तेदार, मित्र बन्धु को एहसास करायें कि हम उनकी खूबियों और मजबूतियों कि कदर करते है। हर चीज के केवल सकारात्मक पहलू को देखें। केवल अच्छी से अच्छी बाते सोचें, अच्छे नतीजों के लिये कार्यरत रहे, अच्छे नतीजों की उम्मीद करें। अपने आप को बेहतर बनाने में इतना वक्त लगायें कि दूसरों की आलोचना करने के लिये हमारे पास वक्त ही न बचें।
हमारे शरीर को क्रिया कलाप की जरूरत होती है-अगर हम उसे निष्क्रिय रखे तो वह बीमारी पड़कर या कुछ ऐसा ही करके विद्रोह करना शुरू कर देगा। हमें उसे अनुभव करना चाहिए। हमारी आतंरिक प्रेरणा ही हमारी प्रेरक शक्ति और नजरिया होती है और यह हमारे आसपास के माहौल पर भी असर डालती है। हम दूसरे लोगों से जैसे व्यवहार की उम्मीद करते हैं, उसे हासिल करने की कुँजी हमारा नजरिया ही है।
एक व्यक्ति का व्यवहार दूसरे व्यक्ति को तो प्रभावित करता ही है, परन्तु उस व्यवहार से वह स्वयं भी प्रभावित होता है। हमारे द्वारा किया गया आचरण सामाजिक संतुलन के लिए जितना आवश्यक है उससे कही अधिक हमारे स्वयं के सुखमय व स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
निधि श्रीमाली
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