जीवन की प्रत्येक समस्या तो नहीं, फिर भी अधिकांश समस्यायें धन के द्वारा ही दूर होती हैं। यह ठीक है कि जीवन में धन सब कुछ नहीं होता, लेकिन धन बहुत कुछ होता है। व्यक्ति का सारा चिंतन, उसकी मानसिक श्रेष्ठता, उसकी भावनाओं की ऊंचाई सभी कुछ उसकी आर्थिक स्थिति पर ही आश्रित होता है, और जब धन की बात आती है, स्थायी सम्पत्ति की और प्रचुरता की बात आती है तो मां भगवती जगदम्बे के विशिष्ट स्वरूप कमला महाविद्या की चर्चा करना नितांत आवश्यक हो जाता है। धन की प्राप्ति के तो अनेक उपाय हैं, अनेक प्रकार की साधनायें हैं, लेकिन यही बात, यही उपाय मां भगवती जगदम्बे के शक्तिमय स्वरूप से जुड़ा हो और न केवल जुड़ा हो, वरन् उन्हीं का एक विशिष्ट स्वरूप हो, तब असफलता कैसे आ सकती है?
कमला महाविद्या की साधना वास्तव में महालक्ष्मी की ही साधना है, क्योंकि मां भगवती जगदम्बे के त्रिगुणात्मक स्वरूप का विस्तार उनकी दस महाविद्याओं में ही हुआ और उसमें से ही कमला महाविद्या उन्हीं के महालक्ष्मी स्वरूप की साधना है। जहां सामान्य रूप से महालक्ष्मी पूजन एवं साधना से सफलता प्राप्ति संदिग्ध हो, वहीं कमला महाविद्या की साधना से यह असंभव है कि व्यक्ति दरिद्री अथवा हीन रह जाये। जिस प्रकार पद्मगंध छुपाये नहीं छुपती और आसपास का समस्त वातावरण अपनी मधुर गंध श्रेष्ठता और दिव्यता से भर देती है, उसी प्रकार कमला महाविद्या की साधना भी व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आलोकित एवं सुगंधित कर देती है।
इसे केवल एक मात्र धन प्राप्ति की साधना मानना ही पर्याप्त नहीं, क्योंकि यह तो एक ऐसी अद्भुत साधना है, जो कि अपनी सम्पूर्णता से व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन में व्याप्त दरिद्रता, कायरता, कटुता और हीनता को समाप्त करने की शक्तिमय प्रक्रिया है और लक्ष्मी के अभाव में फिर व्यक्ति का यही तो स्वरूप शेष रह जाता है- हताश, निराश, चिड़चिड़ा और उदास, जो केवल शक्ति की विशिष्ट कृपा से ही समाप्त हो सकता है। यह केवल एक साधना ही नहीं जीवन की एक अनिवार्यता है और इसी से व्यक्ति के जीवन में आ सकती है पूर्ण निर्भीकता और पूर्ण निश्चिंतता। मानसिक शांति प्राप्त करने की कमला महाविद्या से श्रेष्ठ कोई साधना ही नहीं। भगवान विष्णु की परामाया महालक्ष्मी की इस विशिष्ट साधना से साधक के जीवन में उसे लक्ष्मी तत्व की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही उसे स्वयमेव नारायणत्व भी प्राप्त होता है, क्योंकि लक्ष्मी-नारायणत्व अभेद जो है, और जहां नारायणत्व है, वहीं पौरूष है, क्षमता है, श्री है, एवं सुख-समृद्धि है। नारायण का ही दूसरा नाम है अनन्त और कमला तंत्र के सिद्ध साधक को जीवन में अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है।
कमला महाविद्या का नाम लेते ही उनके बारह विशिष्ट स्वरूपों का स्मरण करना भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि उनका विराट स्वरूप इन्हीं बारह स्वरूपों से मिलकर ही बना है। इस साधना में जिस कमला महायंत्र की आवश्यकता पड़ती है उसे प्रत्येक स्वरूप में मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठित होना अति आवश्यक है। तंत्र में इनके द्वादश नाम स्पष्ट हुये हैं- महालक्ष्मी, ऋणमुक्ता, हिरण्यमयी, राजतनया, दारिद्रयहरिणी, कांचना, पद्मासना, राज राजेश्वरी, कनकवर्णा, वरदा, जया, सर्व मांगल्य युक्ता! देवी कमला लक्ष्मी का स्वरूप है। जीवन में धन सम्पत्ति की वृद्धि, कर्ज के भार से मुक्ति के लिये कमला साधना गृहस्थ साधकों द्वारा अत्यंत उपयुक्त अनुभव की गई है।
इसी हेतु साधक जीवन को पूर्ण ऐश्वर्य, धन-धान्य, समृद्धि और लक्ष्मी से पूर्ण करने की क्रिया सद्गुरुदेव निखिल की दिव्य चैतन्य भूमि पर जीवन की सर्वोच्च कमला महाविद्या की साधना स्वः परम पूज्य सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली व जगदम्बा स्वरूप वंदनीय माता जी के सानिध्य में सम्पन्न होगा। इस दिव्य चैतन्य शक्ति को अपने जीवन में क्रियात्मक रूप में धारण करने से नित्य उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता ही है।
कमला महाविद्या का विस्तृत विवेचन और दीपोत्सव पर ऐसी श्रेष्ठतम साधना गुरुधाम में सम्पन्न करने का क्या महत्व है? पढ़े अगले अकं में—————!
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