परिचय- पुदीना सुगन्धित एवं औषधीय गुणों से भरपूर औषधि है। पुदीना मूल रूप से भूमध्य सागर में पाया जाता था, परन्तु वर्तमान में यह अधिकांश देशों में उपलब्ध है। चिकित्सा जगत में इसका उपयोग अरोमाथेरेपी में किया जाता है। इसमें मेन्थल, मैंगनीज, तांबा और विटामिन सी का भरपूर स्रोत पाया जाता है। इसके अलावा यह एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीवायरल आदि गुणों से युक्त है। इसको किसी भी मौसम में उगा सकते हैं। सामान्य रूप में घर के बाहर लॅान में, बड़े गमले आदि अपनी सुविधा अनुसार इसको उगाया जा सकता है। पुदीना के पत्तो से भीनी-भीनी सुगंध आती है, यह खाने में गर्म और खुश्क होता है।
उपयोग- पुदीने को पत्ते, तेल, चाय आदि के रूप में उपयोग किया जाता है। घरेलू महिलाए स्वाद अनुसार दाल-सब्जी आदि में भी इसका उपयोग करती हैं। जो किसी भी व्यजंन के सुगंध और स्वाद में अभूतपूर्व वृद्धि करता है। यदि हरा व ताजा पुदीना उपलब्ध न हो तो इसके पत्तों को सूखाकर भी उपयोग कर सकते हैं। गर्मियों में पुदीने की चटनी, पुदीने का शरबत पाचन तंत्र व लू, धूप में बड़ा ही लाभकारी होता है।
गुण- पुदीना में विटामिन ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें पाचक रसों को उत्पन्न करने की अद्भुत सामर्थ्य है। पुदीना में अजवायन के सभी गुण पाये जाते हैं। पुदीना के बीज से निकलने वाला तेल स्थानिक ऐनेस्थेटिक एंव पीड़ानाशक होता है। इसके तेल की सुगन्ध से मच्छर भाग जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार यह पचने में हलका, तीक्ष्ण, तीखा और कड़वा होता है, पुदीना उल्टी मिटाने वाला, हृदय को उत्तेजित करने में सहायक, विकृत कफ को बाहर लाने वाला तथा गर्भाशय-संकोचक एवं चित्त को प्रसन्न करने वाला होता है। यह जख्मों को भरता है, ज्वर, दस्त, खांसी, श्वास समस्या, निम्न रक्तचाप, मूत्र अल्पता, त्वचा के दोष, हैजा, सर्दी-जुकाम, गैस, हिचकी, पेट में दर्द, अपच, गुर्दे के दोष, बेहोशी को दूर करने वाला होता है, इसमें रोगों के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है। पुदीना औषधीय गुणों के साथ चेहरे के सौन्दर्य में भी बहुत ही लाभदायक है। इसके साथ ही यह शरीर और मन को ठंडा और शांत रखने में मदद करता है।
विशेषः पुदीना का ताजा रस लेने की मात्रा है, पांच से बीस ग्राम तथा इसके पत्तों के चूर्ण को लेने की मात्रा तीन से छः ग्राम, काढ़ा लेने की मात्र दस से चालीस ग्राम और अर्क लेने की मात्रा दस से चालीस ग्राम तथा बीज का तेल लेने की मात्रा आधी बूंद से तीन बूंद है।
मलेरिया- पुदीना एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का रस एक-एक चम्मच सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
पुराना सर्दी-जुकाम एवं न्यूमोनिया- पुदीना के रस की 2-3 बूंदे नाक में डालने और पुदीना व अदरक के एक-एक चम्मच रस में शहद मिलाकर दिन में दो बार पीने से लाभ होता है।
वायु एवं कृमि- पुदीना के दो चम्मच रस में एक चुटकी काला नमक डालकर पीने से गैस तथा वायु एवं पेट के कृमि (कीड़े) नष्ट हो जाते हैं।
उल्टी-दस्त एंव हैजा- पुदीना के रस में नीबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पीने अथवा अर्क देने से उल्टी, दस्त, हैजा से राहत मिलता है।
खट्टी डकारे आना- पुदीना व इमली को पीसकर, सेंधा नमक या शहद मिलाकर खाने से खट्टी डकारों में राहत मिलता है।
खांसी- चौथाई कप पुदीना का रस इतने ही पानी में मिलाकर रोजाना 3 बार पीने से खांसी, जुकाम, कफ-दमा व मंदाग्नि में लाभ मिलता है।
मुख-दुर्गन्ध- पुदीना के रस में पानी मिलाकर अथवा पुदीना के काढ़े का घूंट मुंह में भरकर रखें, फिर उगल दें, मुख का दुर्गन्ध नष्ट होता है। टूथपेस्ट, चॅाकलेट आदि में पुदीना का प्रयोग अच्छी सुंगध व मुंह की ताजगी के लिए किया जाता है।
अनार्तव-अल्पार्तव- मासिक धर्म न आने पर या कम आने पर अथवा वायु एवं कफ दोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीना के काढ़े में गुड़ एवं चुटकी भर हींग डालकर पीने से लाभ होता है। इससे कमर की पीड़ा में भी आराम मिलता है।
गर्भवती महिला का जी मिचलाना- पुदीने का 30 मिली रस प्रत्येक 6 घंटे पर सेवन करने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।
दाद- पुदीना के रस में नीबूं मिलाकर लगाने से दाद मिट जाते हैं।
बिच्छू का दंश- पुदीना का रस दंश वाले स्थान पर लगाये एवं उसके रस में मिस्री मिलाकर पिलाये। यह प्रयोग तमाम जहरीले जन्तुओं के दंश के उपचार में काम आ सकता है।
चेहरे की झांइयां- पुदीना के रस को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झांइयां समाप्त हो जाती हैं और चेहरे में निखार आता है।
पुदीना विशेष रूप से माइग्रेन एवं तनाव सम्बन्धित सिर दर्द में लाभदायक है। इसमें कुछ ऐसे खास एनलजेसिक प्रभाव होते हैं, जो दर्द को कम करने में सक्षम हैं। यह रक्त प्रवाह में भी सुधार लाता है और तनाव ग्रस्त माशपेशियों को शांत करता है। पुदीने के तेल की सुगंध स्मरण शक्ति एवं एकाग्रता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जैतून के तेल या अन्य कोई भी शुद्ध तेल में तीन बूंद पुदीने का तेल मिलाएं और अपने गर्दन के पिछले भाग और कनपटी पर लगाकर 5 मिनट मसाज करें, सिरदर्द से राहत मिलेगा। आप एक कप पुदीने की चाय भी पी सकते हैं, इससे भी राहत मिलेगा।
पुदीने में एंटी-इंफ्रलेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मांस पेशयिों में हो रहे दर्द से राहत दिलाने में सहायक हैं। पुदीना मांसपेशियों में रक्त प्रवाह को बढ़ाकर दर्द को कम करता है, मेंथोल पुदीने के आवश्यक तत्वों में से एक है जो मांस पेशियों में हो रही सूजन को समाप्त करता है।
जैतून या बादाम के तेल में पुदीने का तेल मिलाकर मालिश करें। प्रभावित मांस-पेशियों पर पुदीना युक्त मरहम लगाने से भी लाभ होता है।
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