21 दिवस तक लगातार 108 कमल बीजों से कमला महाविद्या मंत्र का उच्चारण कर आहुति दें तो आने वाली कई पीढि़या सम्पन्न बनी रहती हैं।
यदि कोई भी साधक अपनी दुकान में कमल गट्टे की माला बिछा कर उसके ऊपर भगवती लक्ष्मी का मंत्र सिद्ध चैतन्य चित्र स्थापित करे तो उसके व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि होती है और व्यापार निरन्तर उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
कमल गट्टे की माला भगवती लक्ष्मी चित्र को पहना कर, उसे किसी शुद्ध नदी या सरोवर में विसर्जित करें, तो उसके घर में निरन्तर धन का आगमन होता रहता है।
जो व्यक्ति प्रत्येक बुधवार को 108 कमल गट्टे का बीज व घी से आहुतियां देता है, उसके घर से अभाव व धनहीनता सदा के लिए चली जाती है।
जो व्यक्ति पूजन या साधना काल में कमल गट्टे की माला धारण रखता है, उसके जीवन में लक्ष्मी तत्व की आपूर्ति होती रहती है।
भारतीय पूजन पद्धति में धातुओं के बर्तन का बड़ा महत्व है। हर तरह के धातु के बर्तन का भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होता है और इसका वैज्ञानिक कारण भी है। सोना, चांदी, तांबा इन तीनों धातुओं को सबसे अधिक पवित्र माना गया है। हिन्दु धर्म में ऐसा माना जाता है कि ये धातुएं कभी अपवित्र नहीं होती है, पूजन में इन्हीं धातुओं के यंत्र भी उपयोग किये जाते हैं।
सोना-चांदी बहुत मंहगे होते हैं, जबकि तांबा इन दोनों की तुलना में सस्ता होने के साथ ही मंगल की धातु मानी गई है। तांबे के बर्तन में पानी पीने से अनेक लाभ भी आयुर्वेद में बताये जाते हैं।
पूजन में आचमन किया जाता है तो आचमनी तांबे की ही रखी जाती है, क्योंकि पूजन के पूर्व पवित्र क्रिया तीन बार आचमन से आध्यात्मिक भाव-भूमि की पवित्रता के साथ अनेक रोग भी समाप्त होते हैं और रक्त प्रवाह बढ़ता है, इससें पूजन में एकाग्रता बढ़ती है।
पूजन में यथा संभव सोना, चांदी अथवा तांबे से बने बर्तन का उपयोग करना चाहिये, इससे पवित्रता का भाव बना रहता है, साथ शास्त्रीय विधान का पालन होता है। इसके साथ ही तांबे के बर्तन के सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिये तथा बर्तन को हमेशा स्वच्छ बनाये रखना चाहिये। तांबे के बर्तन को साफ करने के लिए बाजार में अनेक तरह के वाशिंग पाउडर उपलब्ध होते हैं, तो विशेष रूप से तांबे के बर्तन की सफाई के लिए ही बनाये जाते हैं।
लोहा, स्टील और एल्यूमीनियम को अपवित्र धातु माना गया है तथा पूजन और धार्मिक क्रिया-कलापों में इन धातुओं के बर्तनों का वर्जित किया गया है।
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