भगवान शिव की आराधना में लाखों करोड़ों श्लोक लिखें गये हैं और यदि साधक भगवान शिव का निरन्तर स्मरण करता है तो उसके सभी कार्य सफल होते ही हैं। भौतिक और आध्यात्मिक रूप से उसे पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त होती ही है।
प्रत्येक साधक कोई मंत्र जप करे या नहीं करे लेकिन शिव का पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय का उच्चारण तो अवश्य ही कर सकता है। इस नमः शिवाय मंत्र में ही भगवान् शिव के स्वरूप सदाशिव, शिव, अर्द्धनारीश्वर, शंकर, गौरीपति, महामहेश्वर, पंचानन, महाकाल, नीलकण्ठ, दक्षिणामूर्ति, अम्बिकेश्वर, पशुपति, महामृत्युजंय का सार निहित है। ऐसे भगवान शिव जो कि शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवों के देव आदि देव हैं। उन महोदव की वन्दना तो ब्रह्मा, विष्णु भी करते हैं।
महापंडित रावण ने ऐसी दुर्लभ विधि खोज निकाली थी, शिव पूजन का ऐसा तांत्रोक्त और दुर्लभ विधान खोज निकाला था, जिसके कारण वह अपने बल, पराक्रम, शौर्य, तपस्या, भत्तिफ़ के साथ-साथ ऐश्वर्य के स्वामी के रूप में आज तक विख्यात है। उसके शौर्य की गाथा पुराणों और शास्त्रों में बिखरी पड़ी है। क्या बिना मंत्र बल के ऐसा सब कुछ जीवन में कोई व्यत्तिफ़ संभव कर सकता है? उसने तंत्र का बल जोड़ा भी तो मंत्र के सृजक भगवान शिव से और इसी से उसका जीवन सभी तरह के ऐश्वर्यो से पूर्ण हुआ।
आरती गायन कर महादेव को प्रसन्न नहीं किया जा सकता, शिवलिंग पर जल दूध चढ़ाकर महादेव को वशीभूत नहीं किया जा सकता है, उपवास कर महादेव की चेतना स्वयं के भीतर जाग्रत नहीं किया जा सकता, केवल जप कर महामृत्युजंय को सिद्ध नहीं किया जा सकता, उन्हें अपने हृदय प्राणों में पूर्ण रूप से जोड़ने की क्रिया पूर्ण विधि-विधान सहित महाशिवरात्रि पर्व पर गणपति, गौरी, गुरु, शिव पूजन, साधना, अभिषेक, दीक्षा द्वारा ही पूर्ण रूप से अपने अनुकूल बनाया जा सकता है। जिससे महादेव की अमृत वर्षा आपको पूरे वर्ष आनन्द से आप्लावित करती रहे। इसी हेतु महाशिवरात्रि महापर्व सद्गुरुदेव के सानिधय में शिप्रा नदी के तट और द्वादश ज्योतिर्लिंग स्वरूप महाकाल की दिव्य तपोभूमि पर शिव-गौरी शक्ति महाशिवरात्रि महोत्सव 19-20-21 फरवरी 2020 को प्रत्येक साधक द्वारा अमृत सिद्धि प्राप्ति हेतु स्व रूद्राभिषेक सम्पन्न होगा साथ ही शिव-गौरी अखण्ड सौभाग्य शक्ति दीक्षा, मृत्युजंय शक्ति दीक्षा और खड्ग रावण कृत स्वर्ण खप्पर दीक्षा प्रदान की जायेगी। जिससे आने वाला नूतन विक्रम सवंत् 2072 आपके लिए पूर्ण आनन्द, रस, उल्लास युक्त फलदायक और मृत्युजंय लक्ष्मी युक्त हो सके और आप अपनी कामनाओं को पूर्णता दे सकेंगे।
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