कनकधारा यंत्र एक ऐसा अद्भूत यंत्र है जो गरीब से गरीब व्यक्ति के लिये भी धन के स्त्रेत खोल देता है यह अपने आप में तीव्र स्वर्णाकर्षण के गुणो को समाविष्ट किये हुये है। लक्ष्मी से सम्बन्धित सभी ग्रंथो में इसकी महिमा की गई है। भगवान शंकराचार्य जी ने निर्धन ब्राह्मणी के घर में इसी यंत्र को स्थापित कर धन के अभावों को समाप्त कर दिया था। साथ ही इस यंत्र को स्थापित करने से साधक अपने जीवन के विष रूपी पाप, संताप, दुःख, कष्ट, धनहीनता से मुक्त होकर अक्षय धन लक्ष्मी, आरोग्यता, आयु वृद्धि और सुमंगलमय चेतना से युक्त होता है।
साधक अक्षय तृतीया महापर्व पर प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में अपने सामने लकड़ी के बाजोट पर किसी ताम्र पात्र में कनकधारा यंत्र को गंगा जल मिश्रित जल से साफ कर कुंकुंम, अक्षत, धूप एवं दीप से पूजन कर अपनी मनोकामनाये व्यक्त करते हुये निम्न मंत्र का 108 बार उच्चारण करे-
मंत्र जप के पश्चात् यंत्र को पूजा स्थान में स्थापित कर नित्य पंचोपचार पूजन करते रहे।
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