क्योंकि तुम अपने पूर्ण जीवन में संतुलन नहीं बना सके- भौतिकता की तरफ भागते रहे सब तो हाथ से निकला तो भगवान से भीख मांगने लगे‚ आंसु बहाने लगे कभी इसे चुनौती मान इसका सामना नहीं किया। शंकराचार्य ने छोटी उम्र में ज्ञान की प्राप्ति के लिये सब त्याग दिया था‚ स्वामी विवेकानन्द युवा अवस्था में ज्ञान प्रचार के लिये देश-विदेश के लिये निकल गये थे।
मैं आपको यह नहीं कह रहा कि आप भी यह करें अपने जीवन को त्याग दें। आप अपने जीवन में संतुलन को समझे प्रयत्न करें। आप यह सोचे की आप अपने बच्चो को क्या देकर जाओगे‚ जब आप स्वयं के पास कुछ नहीं तो उनका क्या होगा‚ जो तकलीफ‚ कष्ट‚ आप भोग रहे हो‚ उनमें इतनी क्षमता नहीं होगी। स्कूल‚ COLLEGE की पढ़ाई अनिवार्य है‚ लेकिन किसी स्कूल‚ COLLEGE में जीवन जीने की कला‚ सफल होने की क्रिया नहीं सिखाते- ये तो सिर्फ संस्कार से सद्गुरू ज्ञान से और अपने अन्दर प्रज्जवलित गुरू कि चेतना से‚ जीवन संतुलन से आयेगा।
सिर्फ जीवन में एक बार ध्यान लगाने से‚ मंत्र जप करने से‚ साधना करने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती‚ ऋषि-मुनि कोई मुर्ख नहीं थे जो कई वर्ष तप-जप-साधना करते थे अपने ईष्ट के दर्शन के लिये‚ वरदान पाने के लिये ध्यान लगते थे मंत्र जप शोध करते थे। आप भी अपने जीवन को एक उपलब्धि बनाना चाहते हो‚ स्वयं के जीवन का बोध चाहते हो और अपने बच्चो की आने वाली पीढी के लिये कुछ ज्ञान‚ सम्पत्ति पराक्रम छोडना चाहते है तो अपने भौतिक जीवन को अभी से संतुलित कर उसमें अध्यात्मिकता का बीज डाले‚ नित्य कार्य में ध्यान-जप-साधना को अनिवार्य बनाये‚ तभी आप दुःख‚ क्रोध‚ अज्ञानता‚ निर्धनता को हटा व परे रख जीवन को पूर्णरूपेण जी सकेंगे।
स्वयं को आत्म ज्ञान से तभी मिला पाओगे जब आपका और गुरू का मिलन होगा- ऐसा करना होगा इस गुरू पूर्णिमा दिवस नारायण-भगवती माहामाया गुरू पूर्णिमा साधना महोत्सव 11-12-13 जुलाई एक साधक‚ गुरू के मिलन दिवस पर आप सभी को मैं आमंत्रित करता हूँ कि हम मिलकर इस ज्ञान महोत्सव को हर्ष उल्लास मे मनाये।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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