ऐसे आनन्दपूर्ण वातावरण में प्रत्येक व्यक्ति का मन झूम उठने का करता है, परन्तु वर्तमान में गृहस्थ व्यक्ति अपने जीवन में परेशानयों, दुःख, पीड़ा, तनाव, धन हीनता, शत्रुता युक्त विषम परिस्थितियों से सामना करता रहता है, जिससे वह ऐसे प्रेम युक्त वातावरण का अनुभव नहीं कर पाता और अपने जीवन में पूर्णता प्राप्ति के लिये भटकता रहता है। जिसका एक मात्र सामाधान अपने जीवन में दैवीक शक्ति को आत्मसात करने से ही सम्भव है।
जिस जीवन में प्रणय अर्थात् प्रेम की वर्षा होती है, वह जीवन अधूरा कैसे कहा जा सकता है। प्रणय और प्रेम की देवी गौरी को माना गया है। आज सभी पूर्ण गृहस्थ सुख के आकांक्षी है और यह केवल भगवती गौरी की कृपा से सम्भव हैं। गौरी का स्वरूप ही यौवनमय, कान्तिमय तथा प्रणय से ओत-प्रोत है। प्रणय जीवन का आधारभूत सत्य है और प्रणय केवल कन्याओं के लिये ही आवश्यक ही नहीं है। यदि व्यक्ति चाहे वह पुरूष हो अथवा स्त्री, जीवन में प्रेम रस की कमी अनुभव करता है, जीवन में शुष्कता का अनुभव होता है तो वह गौरी लक्ष्मी कवच धारण करने मात्र से ही जीवन में आनन्द-रस से ओत-प्रोत होने लगता है। कुंवारी कन्या के विवाह में आ रही बाधाओं को या विवाह समय पर न होने पर भी गौरी कवच का पूर्ण रूप से प्रभाव होता ही है।
गौरी लक्ष्मी कवच नियमित धारण रखने से श्रेष्ठ वर की प्राप्ति और आरोग्यता और सौभाग्यता में वृद्धि होती है।
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