तंत्र साधना कोई मैली या गलत क्रिया नहीं है अज्ञानी इसे जादु-टोना, मांस, मदिरा, भोग, बली से जोड कर देखते हैं, अपितु यह एक पारम्परिक विद्या है, जिसे हिन्दु-जैन-सिख-तिब्बती-नेपाली-जापान के शिन्तो प्रान्त के लोग वर्षों से सम्पन्न कर रहे हैं। तंत्र तो एक ऐसी विद्या है, जिससे जटिल से जटिल कार्य सरलता से सम्पन्न हो जाता है, प्राचीन काल में तंत्र के माध्यम से रोगो का उपचार भी किया जाता था, तंत्र के माध्यम में साधक को केवल उसके नियम व उपनियमों की पालन करनी है, यह आत्म के आहवान का ज्ञान है, इसे प्राप्त करने पर ही साधक मूल भूत समस्याओं को समझ पाता है और वह उससे पीडि़त नहीं अपितु उसका समाधान निकालता है। आप सभी हर वर्ष बड़े हर्ष, धूम-धाम से होली तो अवश्य ही मनाते हैं चाहे वह अपने घर में हो या गुरूधाम में नाच-गाकर होलिका दहन व रंग उत्सव को, पर इस वर्ष आप अवश्य ही अपने गुरू के ज्ञान और उन 64 तंत्र ग्रंथों के ज्ञान के मूल को अपने जीवन में उतार कर जीवन की हर विषैली- शत्रुमय स्थितियों का निराकरण इस दिवस पर माँ बगलामुखी की साधना प्रयोग कर सम्पन्न करें।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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