आज जब जीवन बिल्कुल असुरक्षित बन गया है, पग-पग पर संकट और खतरे खड़े हैं, तो अपनी प्राण रक्षा अत्यन्त आवश्यक हो जाती है। यदि किसी शत्रु अथवा किसी आकस्मिक दुर्घटना से जान का भय हो, तो व्यक्ति का जीवन चाहे कितना ही धन-धान्य से पूरित हो, उसका कोई भी अर्थ नहीं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी ओर से अपनी सुरक्षा की ओर से सचेष्ट रहता ही है, परन्तु दुर्घटनायें बिना सूचना दिये आती हैं। ऐसी स्थिति में दैवी सहायता या कृपा ही एक मात्र उपाय शेष रहता है। ज्योतिषीय दृष्टि से दुर्घटना का कारण होता है कि अमुक व्यक्ति अमुक समय पर अमुक स्थान पर उपस्थित हो ही। परन्तु ग्रहों के प्रभाव से यदि दुर्घटना किसी विशेष स्थान पर होनी ही है, परन्तु यदि व्यक्ति उस विशेष क्षण में उस स्थान पर उपस्थित न होकर समय थोड़ा आगे पीछे हो जाये, तो उस दुर्घटना से बच सकता है। ग्रहों का प्रभाव ऐसा होता है, कि अपने आप ही उस विशेष समय में व्यक्ति को निश्चित दुर्घटना स्थल की ओर खींचता ही है, परन्तु ‘शत्रु स्तम्भन्न चण्डिका अकाल मृत्यु निवारक जगदम्बा कवच’ एक ऐसा उपाय है, जो ग्रहों के इस कुप्रभाव को क्षीण कर देता है।
इस चैत्र नवरात्रि के विशेष महापर्व पर सभी साधकों को यह विशिष्ट मंत्रों से अभिमंत्रित अद्वितीय ‘शत्रु स्तम्भन्न चण्डिका अकाल मृत्यु निवारक जगदम्बा कवच’ प्राप्त कर अवश्य धारण करना चाहिये।
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