यदि जीवन में निराशा, उदासी, और संघर्षपूर्ण विपदाओं को समाप्त करने, छल-कपट से युक्त शत्रुओं से व्याप्त इस दुनिया में अपने आपको पूर्ण सुरक्षित और चेतना युक्त सर्वोच्चता और पूर्णता प्रदान करने हेतु सद्गुरू के सानिध्य में प्रयास करता है तो इसका अर्थ है कि, वह सजग चैतन्य व्यक्तित्व है, जो जीवन में नवीन करना चाहता है, यही श्रेष्ठ मनुष्य की पहचान होती है और हम नवीनता, परिवर्तन प्राचीन ज्ञान, विज्ञान ऋषि-मुनियों द्वारा बताई गयी साधना, पूजा-अर्चना को अपने जीवन में उतार कर सर्वांगीण और श्रेष्ठता को प्राप्त हो सकते है।
आज के युग में साधक या शिष्य सही विधि विधान से साधना, पूजा-अर्चना, मंत्र जप सम्पन्न नहीं कर पाता, इसीलिये सद्गुरूदेव जी द्वारा मातंगी और विघ्नराजेन्द्र प्रयोग से यह ‘मातंगी सायुज्य गृह कलेश निवृत्ति राज इन्द्र माला’ को चेतन्य किया गया है। इसके निरन्तर धारण करने से जीवन की दुविधाओं, अपूर्णताओं, दुःखों और शक्तिहीनता तथा जीवन की जर्जरता से निश्चित रूप से मुक्ति प्राप्त हो सकेगी। जिससे जीवन में सुख, जीवंतता, नूतनता, श्रेष्ठता और पूर्णता से भर जाता है।
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