यह सब हर माता-पिता की व्यथा है कोई डाट मार से कोई भय-डर से या झाड़-फूंक से इसका निवारण करने की चेष्टा या प्रयत्न करते है कई बार रिश्तेदार यह तक कह देते है कि बच्चे को लाड़-प्यार से बिगाड़ दिया है या फिर इनके घर का यही माहौल होगा।
कोई नहीं चाहता कि उनकी व बच्चों की इस प्रकार की तुलना हो इन सबके कारण हम तनाव में रहते है व बच्चो पर उसका गुस्सा निकालते है। आपको कैसा लगेगा जब आपके श्रव्ठ JOB में या BUSSINESS में आपकी अज्ञानता या असमर्थता के लिये आपको कोई डाट दे या आपका उपहास उडाये– तो फिर बच्चो का मन बहुत मासुम होता है।
आप ये जाने की बच्चा रोज कई लोगों से मिल रहा है, हर कोई उसे अपने तरीके से सिखा या प्रेम कर रहा है। सभी उसके अपने है तो वो किसकी बात माने, उसे सही गलत की तो पहचान नहीं है।
हमे यह जानना चाहिये की उसके उस बर्ताव का कारण क्या हो सकता है क्या उसे जब भूख लगी तब उसके पास कोई न था या जब उसे खेलना था तब आपके पास समय न था तो हमने उसे TV या MOBILE दे दिया। या जब वह डर गया था या अकेला था तो उसके चिल्लाना, कुछ ऐसी प्रतिक्रिया देना जो आपका ध्यान आकर्षित करे या फिर सदैव उसे कुछ पढ़ने पर विवश करना, बच्चों से अधिक अपेक्षा करना या फिर बच्चो को अपने मनोरंजन का साधन समझना। ये सभी हम जाने अन्जाने में रोज उनके साथ करते है। आप ये सदैव याद रखे कि बच्चा अपने आस-पास हो रही चीजों से सिखता है व प्रतिक्रिया देता है। यही आगे चलकर MOBILE की जिद, खाना न खाने की जिद, पैसे मांगने की जिद, नये खिलौने की जिद, स्कूल न जाने की जिद टीवी देखने की जिद बन जायेगी।
छोटी उम्र से ही अगर हम उन्हें सही दिशा दिखायेंगे-उनकी बात सुनेंगे, बहस नहीं करेंगे। किसी चीज का दबाव नहीं डालेंगे, शांत रहेंगे, उनकी प्रशंसा करेंगे, गलत व्यवहार के लिये बतलायेंगे, समझायेंगे, उन पर विश्वास करेंगे साथ ही एक संस्कारवान पारिवाहिक माहौल देंगे तो अवश्य ही वे जिद्दी बालक न होकर अच्छे संस्कारवान बनेंगे।
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