यह कोई अनिवार्य नहीं कि बच्चे द्वारा किये गये हर प्रयत्न में वो सफल होंगे, बच्चे के विफल होने के बाद पुनः प्रयत्न करना, या फिर पुनः कुछ नया सीखने के उत्साह को ही CONFIDENCE कहेंगे।
तो हम ऐसा क्या करें कि बाल्यकाल से ही बच्चे में CONFIDENCE हार को स्वीकार करने की क्षमता व पुनः कोशिश (TRY) करने का साहस हो!!
बच्चों की प्रशंसा करे- बच्चो का ताली बजाकर, तारीफ कर प्रोत्साहन बढाये।
विफल होनें पर भी सहारना करे- कुछ नया बच्चे ने करने की कोशिश की है उसे सराहें।
अपनी पसंद बनाने व चुनने दे- आमतौर पर माता पिता के बताये व कहे अनुसार ही बच्चों को चीजें दी जाती है- बच्चे को खुद से किसी एक चीज से SELECT करने दे।
बच्चो को उनकी गलती पर डाटे ना अपितु अहसास कराये-ताकि बच्चे अपने द्वारा किये गये काम की जिम्मेदारी (RESPONSIBILITY) ले सके।
बच्चे की तुलना न करे- वे अभी सीख रहें है कुछ नया जान रहे हैं, तो कभी भी उनकी तुलना COMPARISION ना करें।
बच्चे को सलाह मांगने व मन की बात रखने को प्रेरित करे- बच्चे को माता पिता से बात करने या फिर उनके द्वारा लिये गये
निर्णय कि प्रतिक्रिया बतलाये व किसी कार्य को करने का अच्छा बुरा क्या परिणाम होगा यह बतायें।
बच्चो को जिम्मेदारी व भरोसे वाले छोटे कार्य दे- घर के छोटे कार्य जैसे दीपक में घी देखना, कुकर में सिटी गिनना, फालतु बिजली खर्च न होने देना, कुछ सम्भाल कर रखना ऐसे छोटे कार्य देने से उनमें जिम्मेदारी का भाव आयेगा और कार्य सफल होने पर उनका होसला बढ़ेगा व स्वयं में CONFIDENCE आयेगा। इसके अलावा बच्चो को योग का अभ्यास व नियम से खेल खेलने से भी आत्मविश्वास बढ़ाने के काम आती है जो भविष्य में उन्हें सफल बनाता है।
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