अर्थात् मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरणारविन्दों के मुग्ध प्रेमी, जिन्होंने असुरवृत्तिमय रावण की नगरी लंका को जलाकर दुःखी देवगणों को आनन्दित किया, जिनकी सिद्धि व बल-वीर्य से समस्त विश्व परिचित है, ऐसे भक्तवत्सल श्री हनुमान को मैं अनन्य भक्ति भाव से नमन करता हूं, जिससे वे कृपा कर अपने समान हमें भी पराक्रमी बनने का वरदान दें।
हनुमान वीरता, बल और बुद्धि के प्रतीक हैं, इसलिए इनका एक नाम संकटमोचन भी है अर्थात ये संकटों को हरने वाले, रोग-शोक, व्याधि, पीड़ा, संताप का शमन एवं शत्रुओं का दमन करने वाले एकमात्र देव हैं, जो संसार की सर्वश्रेष्ठ सिद्धियों में एक माने जाते हैं। पुराणों के अनुसार वीर और दास इन दोनों रूपों मे उपासको ने अपनी भावनानुसार इनकी पूजा-अभ्यर्थना की है।
वीर के रूप में ये सर्व उपद्रव नाशक माने जाते हैं और सुख, सम्पदा प्राप्ति के लिए इनके दास स्वरूप की उपासना की जाती है। शास्त्रों में दोनों ही रूपों का ध्यान, मनन और चिन्तन दिया गया है। वीर के लिए राजसिक और दास के लिए सात्विक विषयों का उल्लेख है।
हनुमान जी को अंजनी पुत्र, पवन सुत, शंकर सुवन, केसरी नंदन, महाबली, सीताशोक विनाशक, लक्ष्मण प्राण दाता, दशग्रीवदर्पदा आदि नामों से सम्बोधित किया गया है। पूरे भारत वर्ष में अपने गृहस्थ जीवन को श्रेष्ठमय बनाने के लिए सांसारिक मनुष्य श्री हनुमान जी की पूजा-उपासना पूर्ण निष्ठा भाव से करते हैं। इनकी पूजा-अर्चना से हनुमान की तरह बल, बुद्धि, विद्या से युक्त सर्वगुण सम्पन्न बन सकें।
चारों पुरुषार्थों को नियंत्रित करने की क्षमता हनुमान की साधना से ही प्राप्त होती है, क्योंकि वे अष्ट सिद्धियों व नवनिधियों के दाता हैं, कुमति अर्थात कुबुद्धि, कुविचार, कुभाव और अवगुणों का हरण करने वाले हैं तथा सुमति अर्थात् सद्बुद्धि, सद्गुण में वृद्धि व सद्भाव प्रदान करते हैं।
अर्थात ‘श्री हनुमान जन्म और मृत्यु के भय को समाप्त करने वाले हैं। दुष्ट आत्माओं व राक्षसी भावों के शत्रुओं से पूर्ण रक्षा करते हैं तथा सभी कष्टों व बाधाओं का हरण करने वाले हैं। श्री हनुमान अपने भक्तो का क्लेश हरने के लिए दारूण दावानल के समान हैं, सर्वकाम पूरक हैं, संकट रूपी प्रलयघनघटा को विदीर्ण करने वाले और सर्वव्यापी हैं, ऐसे देव की साधना-उपासना करना भौतिक जीवन में अति आवश्यक है। शास्त्र अनुसार यह मान्यता है कि कलियुग में महाकाली और हनुमान की साधना सर्वोपरि मंगलकारक व शीघ्र फलदायी है।
संत तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की। अनुभव में यह आया है कि हनुमान चालीसा सही अर्थों में मन्त्र स्वरूप है। अनेक विशिष्ट कार्यो में सफलता हेतु हनुमान चालीसा के सम्फुटित मंत्रों से सिद्ध साधना सामग्री से की जाने वाली साधना का बहुत ही अचूक प्रभाव पड़ता है। इन साधनाओं के तात्कालिक लाभ अनेक साधकों ने प्राप्त किया है। नीचे साधकों के हितार्थ हनुमान चालीसा से सम्फुटित साधनायें प्रस्तुत की जा रहीं है।
आज के गला काट प्रतिस्पर्धा के इस युग में चातुर्यता के सभी विषयों पर खरा उतरना मनुष्य जीवन के लिये अति आवश्यक है। अन्यथा आज का दूषित समाज चार्तुय विहीन व्यक्ति का केवल और केवल शोषण कर उसके जीवन का अपने तरीके से उपयोग करता है। इसलिये प्रत्येक व्यक्ति में इतनी चेतना तो होनी ही चाहिये कि वह अपने जीवन का सही उपयोग सही दिशा में कर सके और इसके साथ वह बल-बुद्धि, चेतना, ज्ञान, चार्तुयता, मनोवैज्ञानिक सूझ-बूझ से परिपूर्ण हो, तब ही वह सही रूप में अपने जीवन का परिपालन कर सकेगा और जीवन को सभी उच्च सफलताओं से युक्त बना पायेगा।
बालक और विद्यार्थियों में बौद्धिक विकास करने की क्षमता अधिक होता है, क्योंकि उनका बौद्धिक विकास प्रगति में होता है। इसलिये उनके बौद्धिक विकास की संभावना अधिक है, ऐसे में प्रत्येक अभिभावक को चाहिये कि वे अपने संतान के सही विकास और बौद्धिक विस्तार, चातुर्यता, ज्ञान, चेतना की परिपूर्णता के साथ उच्च सफलता की प्राप्ति हेतु ‘‘हुं’’ बीज मंत्र से चैतन्य बल-बुद्धि प्रदाता हनुमान साम्फल्य शक्ति लॅाकेट हनुमान जयंती युक्त चैत्र पूर्णिमा दिवस पर धारण करायें, जिससे आपकी संतान का सद्संस्कारों के साथ अभूतपूर्व ऊर्जामय पूर्ण मातृ-पितृ आज्ञा पालकमय बने।
हनुमान जयंती अथवा किसी भी मंगलवार को लॅाकेट पर लाल सिन्दूर अर्पित कर तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें और पास ही अपने संतान को बैठाकर उसका भी तिलक करें पश्चात् निम्न श्लोक का 108 बार उच्चारण कर अपने संतान को लॉकेट धारण करा दें अथवा यह पूरी प्रक्रिया बालक स्वयं भी सम्पन्न करे तो अति श्रेष्ठ लाभ प्राप्त होगा।
हर स्त्री-पुरुष के मन में अनेक कामनायें होती हैं। हर कोई अपनी कामनाओं को पूर्ण करने का पूरा प्रयास करता है। कामनायें ही मनुष्य जीवन में क्रिया शक्ति का भाव उत्पन्न करती हैं और व्यक्ति अपनी कामनाओं को पूरा करने के लिये जी-तोड़ परिश्रम करता रहता है। इसलिये कामनाओं का होना जीवन में क्रियाशीलता के लिये आवश्यक तो है, परन्तु उससे कहीं अधिक कामनाओं का पूरा होना भी है, क्योंकि यदि जीवन में कामनाओं की पूर्ति ना हो पाये तो व्यक्ति निराशा अथवा कुण्ठित मन लिये जिन्दा लाश की भांति केवल जीता ही है, उसमें जीवन्तता नहीं होता और केवल सांसों का चलना ही जीना नहीं है। जीना तो उत्साह, उमंग, ऊर्जा से भरे जीवन को कहा जाता है।
इच्छायें, कामनायें स्थिति-परिस्थिति और सुभावों पर भी निर्भर होती हैं। यदि भाव सही हो, व्यक्ति सुकामना से युक्त है, तो परिस्थतियों की अनूकुलता भी होनी चाहिये तब ही कामनाओं की पूर्ति संभव हो पाती है। भगवान श्री हनुमान मनोरथ सिद्धि प्रदाता देव भी हैं, इनकी उपासना से मनोरथ सिद्ध निश्चित रूप से होता है, क्योंकि भगवान हनुमान सभी विघ्न-बाधाओं का हरण कर कामना पूर्ण करने वाले देव हैं। इनके भक्त कभी भी निराश नहीं होते, श्री हनुमान प्रचण्ड ऊर्जा शक्ति के देव हैं, जिससे इनकी साधना करने वाले साधक में भी वैसी ही ऊर्जा का संचार होता है और वह इन्हीं ऊर्जा शक्ति के बल-बूते जीवन की अनेक स्थितियों का सामना करते हुये अपना लक्ष्य प्राप्त करता ही है।
सांसारिक जीवन से सम्बन्धित किसी भी कामना हेतु इस विशिष्ट साधना को सम्पन्न किया जा सकता है। स्त्री-पुरुष दोनों अपनी-अपनी कामनाओं की पूर्ति हेतु इस साधना को सम्पन्न कर प्रसन्नता, सुख, आनन्द की प्राप्ति कर सकते हैं। 19 अप्रैल रात्रि 08 बजे के बाद पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर लाल आसन पर बैठ जायें। गुरु पूजन सम्पन्न कर 1 माला गुरु मंत्र का जप करें, फिर बजरंग शक्ति गुटिका व मनोरथ सिद्धि माला का सिन्दूर, अक्षत, पुष्प से पूजन तेल का दीपक प्रज्ज्वलित कर दें, पश्चात् निम्न मंत्र का 2 माला मंत्र जप करें-
मंत्र जप के पश्चात् सात दिन तक नित्य प्रातः स्नान के बाद 10 मिनट तक माला धारण रखें 8 वें दिन किसी पवित्र जलाशय, नदी में सभी सामग्री विसर्जित कर दें।
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