प्रायः ज्यादातर व्यक्ति अपनी काया में अनेक परेशानियों व बीमारियों की शिकायत करते हैं, यथा, मेरे चेहरे पर काले धब्बे हो गए हैं, मेरे दांत प्रायः पीड़ा करते हैं, इन समस्त परेशानियों की एक ही वजिह है, शरीर में प्रोटीन, विटामिन एवं कैल्शियम की कमी का होना, ये सभी हमें दालों से हासिल हो सकते हैं। बशर्तें हम उनका सही-सही प्रयोख्ग खाने में या पैक तैयार कर लगाने में करें।
हमारी काया के लिए 22 तरह के एमीनों अम्ल जरूरी है, ये सभी अम्ल प्रोटीन में पाए जाते हैं एवं प्रोटीन दालों में सर्वाधिक तादाद में पाया जाता है। प्रोटीन शारीरिक वृद्धि, फुर्तीलापन, उत्साह एवं ताकत के लिए जरूरी है, दालों को भिगोकर अंकुरित कर लिया जाए तो इनमें प्रोटीन, लौह तत्व के साथ-साथ विटामिन सी, बी, ई और के भी प्राप्त हो जाते हैं, ये समस्त गुण अरहर की दाल में समाहित रहते हैं।
अरहर एक द्विदल अन्न है, जिसकी दाल अक्सर भारत में सर्वत्र बड़े चाव से खाई जाती है, अरहर की दाल में विटामिन ए बी, सी पाया जाता है। इसकी पकी हुई 100 ग्राम दाल में 335 कैलोरी, 57-6 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट, 22-3 प्रतिशत प्रोटीन, 3- 5 प्रतिशत खनिज लवण, 304 मिलीग्राम फास्फोरस, 73 मिली ग्राम कैल्शियम, 5-8 मिलीग्राम लौह तत्व एवं विटामिन बी काम्प्लेक्स पाया जाता है, अतः युवा स्त्री-पुरुषो एवं बच्चों को अरहर की दाल अत्यंत लाभदायक देने वाली होती है, किन्तु 40 वर्ष से ऊपर के स्त्री पुरुष को इसका सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए।
इसको संस्कृत में आढ़की, तुवरी, हिन्दी में अरहर, तुवर, मारवाडी व गुजराती में तुर, बंगाली में टडर, पंजाबी में हरहर, अरबी में साज, पारसी में शकरल, लेटिन में कोजानुस इंडिकस व अंग्रेजी में पिजेनपी आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद के मुताबिक अरहर की दाल मुधर, रस युक्त, कषाय, हल्की, शीतल, खुश्क, कब्ज करने वाली, कफ व पित्त का नाश करने वाली, वात कारक एवं आफरा पैदा करती है और इसे गर्म व रुक्ष माना गया है। वर्ण को उत्तम करने एवं खून की कमियों को दूर करने की क्षमता पायी जाती है। अतः इसका प्रचुर मात्रा में सेवन नुकसान दायक होता है। घी में छौंक कर खाने से इसकी समस्त कमियां नष्ट हो जाती है, जिन्हें उदर में गैस बनने की परेशानी हो, उन्हें दाल का प्रयोग हरगिज नहीं करना चाहिए, पित्त, बुखार, विष, गोला, बवासीर, खुजली, अधिक पसीना आना, मुख में छाले, हिचकी, भांग का नशा उतारने में इस दाल का सेवन फायदेमंद होता है।
बालों को गिरने से रोकने के लिये अरहर की दाल का उबटन लगाना चाहिए, अरहर की दाल को दही के साथ पीसकर बालों में लगाएं, सूख जाने पर बालों को ताजे जल से धो लें।
अरहर की नर्म पत्तियों के रस से या इसकी दाल के पानी से भिगोकर उस जल से कुल्ले करने से मुख के छालों का शमन होता है।
इसकी भूसी हुक्के में रखकर पीने से हिचकी से राहत मिलती है।
इसकी पत्तियों के रस एवं दूध बराबर तादाद में मिलाकर सूंघने से आधा शीशी में आराम मिलता है।
अरहर की दाल दो चम्मच दूध में भिगो दें, इसे सुबह होते ही पीसकर चेहरे पर लगाएं, सूखने पर ताजे जल से धो दें, गर्मियों में तैलीय त्वचा के लिये यह अच्छा उबटन है, इसे प्रतिदिन लगाया जा सकता है।
चेहने पर काले दागों से छुटकारा पाने के लिए अरहर की दाल को कुछ देर के लिए भिगों दें, तत्पश्चात् उसे पीसकर गाढ़ा पेस्ट बना लें, पेस्ट में नींबू की बूंदे व चुटकी भर हल्दी मिला लें, अब इसे उबटन की तरह चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से रगड़कर साफ करें, इसका इस्तेमाल आप रोजाना करें, कारगर लाभ होगा।
पीलिया रोग से राहत पाने के लिए अरहर के पत्तों में जरा सा सेंधा नमक डालकर पीना चाहिए
इसकी पत्तियों को पीसकर गर्म करके लगाने पर स्तनों अति दुग्ध रिसाव (स्तनों से अधिक दूध निकलना) की समस्या का निदान होता है।
अरहर की दाल, नमक और सोंठ मिश्रित कर छौंक कर मालिश करने से पसीना आना खत्म होता है, सर्दी में कंपकंपी लगना भी दूर हो जाता है।
बच्चे की अंडवृद्धि (फोता लटकने पर) होने पर अरहर की दाल भिगोकर उसी जल में पीसकर गर्म करके लेप करने से लाभ होता है।
अरहर की दाल को गाय के मूत्र में पीसकर खुजली पर लेप करने से खुजली समाप्त हो जाती है।
भांग का नशा उतारने के लिए अरहर की दाल पीसकर- छानकर पिलाएं, तो नशा तुरंत उतर जाता है।
अरहर की पिसी दाल की पुल्टिस सूजन वाले जगह पर हल्का गर्म बांधने से होत सूजन कम हो जाती है।
फोड़े को शीघ्र को पकाना हो तो, अरहर की दाल, जल के साथ पीसकर, जरा-सा नमक मिला कर गर्म करके फोड़े पर बांध देना चाहिए।
नीम की पत्ती एवं अरहर की पत्ती को सम मात्र में लेकर पीसकर रस निकाल लें, इस रस को दिन में तीन-चार बार पीने से अर्श में राहत मिलती है।
अरहर की पत्तियों का रस दस ग्राम लेकर तीस ग्राम देशी घी में मिलाकर पीने से रक्तपित्त का शमन हो जाता है और नाक एवं मुंह से बहने वाला रक्त को यह रोक देता है।
पत्तियों को उबालकर कुल्ला करने से दांत की पीड़ा ठीक हो जाती है।
प्रसूता औरत के स्तन में दूध कम होता हो तो अरहर की पकी दाल में घी मिलाकर इस्तेमाल कराना चाहिए इससे स्तनो में दूध की निश्चित ही वृद्धि होती है।
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