इसलिये श्रेष्ठ साधक वे ही हैं जो क्षण के महत्व को पहचान कर निर्णय लेने में विलम्ब नहीं करते हैं। साधक के जीवन में अनेक प्रकार की इच्छायें होती हैं। जिनकी पूर्ति ऐसे स्वर्णिम सूर्य ग्रहण के संयोग पर किया जा सकता है, धन, पद, प्रतिष्ठा, यश, मान, ऐश्वर्य, कुण्डलिनी जागरण, पूर्णता, श्रेष्ठता, तेजस्विता और जीवन में वह सब जो हम चाहते हैं, क्योंकि ऐसे अद्वितीय ग्रह संयोग के समय गुरुधाम की चैतन्य भूमि पर की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती है।
अगस्त संहिता में कहा गया है- सूर्य ग्रहण अथवा चन्द्र ग्रहण में तीर्थ स्नान, मंत्र जप, साधना, दीक्षा आदि क्रियाओं में सम्मिलित होकर अक्षुण्ण लाभ प्राप्त करना चाहिये। ग्रहण के समान और कोई समय नहीं होता, इस समय अनायास ही मंत्र जाप से सिद्धि मिलती है।
सूर्य ग्रहणे महानद्यां सिद्ध चैतन्य प्रतिमा
संनिर्द्यो वा जपत्वा सिद्ध मन्त्रो भवति
अर्थात् सूर्य ग्रहण में नदी या किसी दिव्य प्रतिमा, चेतनावान गुरु के सानिध्य में मंत्र स्वतः सिद्ध हो जाता है।
हर वर्ष सूर्य व चन्द्र ग्रहण की श्रृंखला बनती है, इन दिव्य चैतन्य अवसरों पर होने वाले वातावरण के परिवर्तन निश्चित रूप से हमारे व्यक्तित्व में सार्थक परिवर्तन ला सकें, इसके लिये हमें अपनी साधनात्मक क्रियाओं के आधार को और अधिक सुदृढ़ व मजबूत करने की दिशा में अग्रसर होना चाहिये।
इसी क्रम में अनेक विशिष्ट शक्तियों द्वारा सिद्ध चैतन्य प्राणवान स्थल कैलाश सिद्धाश्रम-जोधपुर में परम पूज्य सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी के दिव्य सानिध्य में सूर्य ग्रहण के चेतनावान क्षणों में पूजन, हवन, अंकन, साधनात्मक दीक्षा की पूर्ण रूपेण क्रियाओं द्वारा जीवन पर लगे ग्रहण की कालिमा को समाप्त कर जीवन को प्रकाशित करने की ऊर्जा से युक्त हो सकेंगे। जिस दिव्य स्थल पर नारायण भगवती सिद्धाश्रम शक्ति आपूरित चेतना का प्रवाह निरन्तर प्रवाहित है, ऐसे दिव्य स्थल पर सूर्य ग्रहण की दिव्यता और सूर्य की तेजस्विता, ऊर्जा, चेतना को पूर्णता से आत्मसात करने से निश्चित ही आप असीम ऊर्जा युक्त बन सकेंगे।
सूर्य ग्रहण के शुभ अवसर पर जीवन की कालिमा, अंधकार व अनेक-अनेक कामनाओं इच्छाओं पर लगे हुए कुप्रभाव से मुक्ति की साधनात्मक क्रिया निश्चय ही आपके जीवन मार्ग को प्रकाशित कर उच्चता प्राप्ति में सहायक होगा। साथ ही ऐसे दिव्य अवसर पर यदि जीवन्त जाग्रत सद्गुरु का सानिध्य प्राप्त हो, तो साधक जीवन का अहोभाग्य है कि वह अपने जीवन को श्रेष्ठ, सफल, चेतनावान बनाने की क्रिया पूर्ण करें।
आप सभी श्रेष्ठ साधको के लिये आषाढ़ी नवरात्रि के प्रथम दिवस पर सूर्य ग्रहण तेजस्वी जीवन निर्माण व दस महाविद्या नवचण्डी हवन, साधना दीक्षा जोधपुर आश्रम में ग्रहण काल में प्रदान की जायेगी।
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