कर्ज लेना बुरी बात नहीं है, परन्तु सभी स्थितियों का आकलन कर ही कर्ज लेना बुद्धिमता है। क्योंकि कर्ज के बाद उस कर्ज का ब्याज दर जीवन की मुश्किलों में और अधिक वृद्धि करता है, यदि कर्जदार कर्ज चुकाने में असमर्थ है तो। परन्तु इन सब के बाद इसका एक पक्ष और भी है, यदि व्यक्ति का मंगल प्रतिकूल है अर्थात् मंगल ग्रह किसी ऐसे भाव में हो या किसी ऐसे घर में बैठा हो, जहां से हानि होती हो, तो व्यक्ति दिन-प्रतिदिन कर्ज के दल-दल में और अधिक डूबता चला जाता है और एक दिन ऐसी स्थिति आती है कि व्यक्ति का दिवाला हो जाता है। उसकी पूरी चल-अचल सम्पत्ति कर्ज में डूब कर समाप्त हो जाती है। इसके पीछे मंगल दोष का होना एक बड़ा कारण है।
मंगल को भी क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गयी है। राहु, मंगल, शनि इन तीनों की प्रतिकूलता जीवन को नारकीय बना देती हैं, इसलिये यह आवश्यक है, कि हम ऐसा प्रयास करें, जिससे क्रूर ग्रहों की तिकड़ी हमारे जीवन को प्रभावित ना कर सकें। मंगल की अमंगलता मनुष्य पर बहुत भारी पड़ती है, यह शुभ भाव में जितना प्रचण्ड लाभ देता है, उतना अशुभ होने दुख, कष्ट, बाधा, रोग, कर्ज आदि से व्यक्ति को दयनीय स्थिति में पहुंचा देता है। मंगल की सबसे बड़ी न्यूनता है, यह दाम्पत्य जीवन को भी छिन्न-भिन्न कर देता है, पति-पत्नी के मध्य कलह, क्लेश का कारक बनता है और पारिवारिक जीवन में अंशाति, अभाव की स्थितियां पैदा करता है, कहने का तात्पर्य यह है कि इसे राहु के वक्री या शनि की साढ़े साती से कम नहीं समझना चाहिये। इसका सबसे अधिक प्रभाव आर्थिक स्थिति और दाम्पत्य जीवन तथा स्वास्थ्य पर पड़ता है।
साधक को अपने जीवन में सदैव नवग्रहों से सम्बन्धित साधनात्मक क्रियायें करते रहना चाहिये। जिससे उसके जीवन के किसी भी पक्ष में बहुत अधिक हानि की स्थिति ना बनें। क्योंकि ग्रहों का कुचक्र बहुत ही भारी पड़ता है, वह व्यक्ति के सामने ऐसी परिस्थितियां निर्मित करते हैं, कि व्यक्ति ना चाहते हुये भी, उनमें फंस जाता है। इसलिये प्रत्येक स्थिति में नवग्रह शांति के अनेक उपाय करते रहना चाहिये।
ऋणहन्ता मंगल दीक्षा ग्रहण करने से जहां एक ओर जीवन में कर्ज से मुक्ति मिलती है, वहीं मंगल के अनुकूल होने पर जिन कार्यो में बाधा आती रहती थीं, वे सरलता से सम्पन्न होने लगते हैं। जैसा कि नाम से ही यह ग्रह मंगल है, उसी तरह इस ग्रह के अनुकूल होने पर जीवन में सब कुछ मंगल ही मंगल होता है, परन्तु जब यह विपरीत होता है, तो भीषण अमंगलता का भी कारक है।
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