आयुर्विज्ञान में कई पौधों, फलों और जड़ी-बूटियों को गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने के लिये उपयोग में लाया जाता है। इन्हीं में से एक है शंखपुष्पी। इस पौधे की खासियत यह है कि इसके फूल शंख के आकार के होते हैं। इसी कारण इसे शंखपुष्पी के नाम से पुकारा जाता है। आमतौर पर इसका उपयोग दिमागी शक्ति, एकाग्रता और स्मृति सुधार के लिये होता है। वहीं, कई अन्य गंभीर समस्याओं के इलाज के लिये भी इसे उपयोग में लाया जाता है।
शंखपुष्पी पथरीली भूमि वाले जंगलों में पाई जाने वाले एक प्रकार की वनस्पति है। इसका वैज्ञानिक नाम कॉन्वोल्वुलस प्लुरिकायुलिस (Convolvulus pluricaulis) है। मुख्य रूप से शंखपुष्पी का पौधा तीन रंगों (सफेद, लाल और नीला) में पाया जाता है, लेकिन औषधि के लिये विशेष तौर पर इनमें से सफेद रंग वाले पौधे का इस्तेमाल किया जाता है। यह सर्दियों में झड़कर मिट्टी में मिल जाता है और बरसात में खुद-ब-खुद पनपने लगता है।
इसके तने करीब एक से डेढ़ फीट की लंबाई तक फैलते हैं। वहीं, इसकी जड़ एक से दो इंच तक लंबी और उंगली के समान मोटाई लिये हुये होती है। इसकी पत्तियों को मसलने पर मूली जैसी गंध महसूस होती है। चमत्कारिक औषधीय गुणों के कारण शंखपुष्पी का पौधा आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर शामिल किया जाता है और इसकी जड़, पत्ती, तने और फूलों को कई जटिल बीमारियों को दूर करने के लिये प्रयोग में लाया जाता है।
आयुर्वेद में शंखपुष्पी को तंत्रिका टॉनिक का दर्जा दिया गया है। कारण यह है कि इसमें ट्राइपटेनोइड, फ्लेवोनोल ग्लाइकोसाइड, एंथोसायनिन और स्टेरॉयड जैसे तत्व पाये जाते हैं। यह तत्व अन्य औषधीय गुणों के साथ मस्तिष्क के विकास और स्मृति सुधार में भी सहायक साबित हो सकते हैं। इस कारण शंखपुष्पी का उपयोग याददाश्त कमजोर होने की समस्या में लाभकारी सिद्ध होता है।
मानसिक दुर्बलता के साथ-साथ शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी शंखपुष्पी के लाभ देखे जा सकते हैं। दरअसल, इस संबंध में ब्लड शुगर के मरीजों पर किये गये एक शोध में पाया गया कि शंखपुष्पी का उपयोग करने वाले न केवल दिमागी तौर पर मजबूत पाये गये, बल्कि उनमें शारीरिक रूप से भी काफी सुधार देखा गया। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि शंखपुष्पी का नियमित उपयोग शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी सहायक साबित होता है।
मेंटल हाइपर सेंसिटिविटी दिमाग की वह अवस्था है, जिसमें किसी भी मनुष्य का अपनी भावनाओं पर संतुलन नहीं रहता। इस कारण वह छोटी-छोटी बातों को लेकर भावुक हो जाता है। वर्तमान और भविष्य को लेकर पीड़ित के दिमाग में कई तरह के अच्छे-बुरे विचार आने लगते हैं, जो क्रोध, अवसाद और चिंता के रूप में झलकते हैं। इस संबंध में ब्लड शुगर की समस्या से ग्रस्त रोगियों पर किये गये एक शोध में पाया गया कि शंखपुष्पी का उपयोग इंसान में भावुकता और भावनाओं की अति को रोकने का कार्य करता है। इस कारण ऐसा माना जा सकता है, कि शंखपुष्पी के लाभ मेंटल हाइपर सेंसटिविटी की समस्या से छुटकारा पाने में दिख सकते हैं।
शंखपुष्पी का इस्तेमाल अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या को दूर करने में भी किया जा सकता है। दरअसल, शंखपुष्पी पर किये एक शोध में पाया गया है कि इसका उपयोग चिंता, दुःख, भय और अवसाद जैसे विकारों में लाभकारी परिणाम दे सकता है। इस कारण ऐसा माना जा सकता है कि यह डिप्रेशन की समस्या को दूर करने का एक बेहतर विकल्प साबित होता है।
शंखपुष्पी को नोट्रोपिक (Nootropic) औषधि यानी मानसिक और बौद्धिक विकास के लिये इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह औषधि तनाव को दूर कर और दिमागी क्षमता को बढ़ाकर बुद्धि, ध्यान, एकाग्रता, स्मृति और तंत्रिका से संबंधित विकारों में प्रभावशाली परिणाम प्रदान करती है। इस कारण शंखपुष्पी के लाभ एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक साबित होते हैं।
शंखपुष्पी का इस्तेमाल तनाव को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। कारण यह है कि इसमें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करना, मानसिक उत्तेजना को बढ़ाना, क्रोध को नियंत्रित करना और तनाव मुक्त करना जैसे गुण पाये जाते हैं। इसलिये, ऐसा कहा जा सकता है कि शंखपुष्पी को एंटी-स्ट्रेस (तनाव दूर करने वाली) औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
शंखपुष्पी एक कमाल की औषधि है, जिसका इस्तेमाल खासतौर पर मानसिक और बौद्धिक विकास के लिये किया जाता है। वहीं, इसका एक खास गुण यह भी है कि यह शरीर में तनाव की समस्या को पैदा करने वाले हार्मोन एड्रेनालाइन और कोर्टिसोल के उत्पादन को भी नियंत्रित करने का काम करता है, जिसे अनिद्रा की समस्या की एक बड़ी वजह माना जाता है। इस कारण ऐसा माना जा सकता है कि शंखपुष्पी के चमत्कारिक गुण अनिद्रा की समस्या से राहत पाने के लिये भी काफी फायदेमंद होते हैं।
जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि शंखपुष्पी तनाव पैदा करने वाले हार्मोन एड्रेनालाइन और कोर्टिसोल को नियंत्रित करने सहायक साबित होती है। वहीं चिंता, क्रोध, अनिद्रा और मानसिक थकान जैसी समस्या अत्यधिक तनाव के कारण ही पैदा होती है। इस कारण इसे मानसिक थकान को दूर करने का एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है।
शंखपुष्पी एक ऐसी औषधि है, जो तनाव को दूर करने और मानसिक विकास के लिये काफी फायदेमंद मानी जाती है। इस कारण यह बुद्धि, ध्यान, एकाग्रता, स्मृति और तंत्रिका से संबंधित विकारों को दूर करने में भी मददगार मानी जाती है। तंत्रिका विकार में तनाव, चिंता, मानसिक थकान और अनिद्रा की समस्या शामिल है, जो कि सिरदर्द का कारण बन सकते हैं। इसलिये, इसका उपयोग सिरदर्द में भी लाभकारी साबित होता है।
10. ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर)
ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति की एकाग्रता में कमी और अतिसंवेदशील व्यवहार देखा जा सकता है। आमतौर पर यह समस्या बच्चों में देखी जाती है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह समस्या बड़े होने के बाद भी लोगों में बनी रहती है। इस समस्या के होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसेः-आनुवंशिक कमी, नशे की आदत, कम वजन के साथ जन्म या फिर दिमागी क्षति। कुल मिलाकर यह एक तंत्रिका विकार है, जो मानसिक कमजोरी को दर्शाता है।
ऐसे में शंखपुष्पी का उपयोग इस समस्या के समाधान के तौर पर किया जा सकता है, क्योंकि यह एक दिमागी टॉनिक की तरह काम करती है। शंखपुष्पी एक नोट्रोपिक (Nootropic) औषधि यानी मानसिक और बौद्धिक विकास के रूप में इस्तेमाल की जाती है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी विकार है, जो मानसिक विकास न हो पाने के कारण होता है। इस समस्या में रोगी को सामान्य तौर पर लोगों से बातचीत करने और घुलने-मिलने में दिक्कत महसूस होती है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी विकास से संबंधित एक बीमारी है और शंखपुष्पी मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार करने वाली औषधि मानी जाती है। इस कारण शंखपुष्पी के चमत्कारिक गुण ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की समस्या में भी लाभकारी माने जाते हैं।
आमतौर पर शंखपुष्पी को मानसिक और बौद्धिक विकास के लिये इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके खास औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेद में खांसी, नींद न आना, मिर्गी, मतिभ्रम (Hallucinations) और चिंता जैसी समस्याओं के लिये भी किया जाता है। इस कारण यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि शंखपुष्पी पुरानी से पुरानी खांसी की समस्या को दूर करने में भी लाभकारी परिणाम देती है।
शंखपुष्पी के औषधीय गुणों को लेकर किये गये एक शोध में सामने आया है कि इसका इस्तेमाल मानसिक रोगों के साथ अल्सर, हाई ब्लड प्रेशर, मिर्गी, उल्टी, मधुमेह, सन स्ट्रोक और रक्तस्राव जैसी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि शंखपुष्पी के चमत्कारिक गुण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा दिलाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं।
हैबिचुअल मिसकैरेज (Habitual Miscarriage) वो अवस्था है, जिसमें लगातार दो या दो से अधिक बार गर्भपात अपने आप होता है। आयुर्वेद में अविकसित या कमजोर गर्भाशय को इस समस्या का मुख्य कारण माना जाता है। हालांकि, इस बात का अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि शंखपुष्पी किस प्रकार हैब्युचल मिसकैरेज को ठीक करती है। हैब्युचल मिसकैरेज के लिये शंखपुष्पी का इस्तेमाल करने से पहले अच्छा होगा कि आप एक बार संबंधित डॉक्टर से परामर्श कर लें।
शंखपुष्पी का सेवन करने के लिये आप औषधि की पहचान कर वैद्य या आयुर्वेदाचार्य मार्गदर्शन में सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा मार्केट में शंखपुष्पी के नाम से तमाम आयुर्वेदिक कंपनियां सिरप भी बनाती हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपने चिकित्सक के मार्गदर्शन में कर सकते हैं।
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