दुनिया के प्रत्येक भाग में रत्नों के प्रति आकर्षण रहा है। प्रकृति की यह देन संसार में लगभग सभी देशों को प्राप्त हैं। यद्यपि रत्नों की संख्या काफी बड़ी है, परन्तु भारतीय जौहरियों ने मात्र चौरासी रत्नों को ही मान्यता दी है, जिनमें से नौ रत्न मुख्य माने गये हैं।
गोमेद प्रमुखतः राहू का रत्न माना गया है। इसे फारसी में मेदक तथा अंग्रेजी में जिरकान कहते हैं। इसका रंग पीला-पीला सा गोमूत्र के समान होता है। साथ ही इसमें श्यामला मिश्रित मधु की झाईं भी दिखाई दे जाती है। यह रत्न प्रत्येक वर्ण के लिए फलप्रद है। जीवन में अकारण शत्रु उत्पन्न होने से जीवन की गति रूक जाती है, शत्रु के विध्वंश हेतु और शत्रुओं के शमन के लिए तथा अनेकानेक रोगों से मुक्ति प्राप्त हेतु गोमेद धारण करना श्रेयष्कर रहता है।
जिन व्यक्तियों की राशि या लग्न मिथुन, तुला, कुम्भ या वृषभ हो अथवा राहु 2, 3, 9 या 12वें भाव में स्थित हो तो गोमेद अनुकूल फल देता है। यदि राहु शुभ भावों का अधिपति होकर अपने भाव से छठें या आठवें स्थान में हो तो राहु रत्न गोमेद अनुकूलता देता है। यदि जन्म कुण्डली में राहु अपनी नीच राशि में पड़ा हो तो गोमेद पूर्ण फल देता है।
वकालत, न्याय, राजपक्ष आदि की उन्नति के लिए भी गोमेद धारण करना शुभ रहता है। सूर्योदय के पश्चात साढ़े दस बजे के बाद निम्न मंत्र की एक माला जाप कर यह रत्न धारण करना चाहिए।
केतु रत्न या लहसुनिया को संस्कृत में सूत्रमणि अथवा अंग्रेजी में कैट्स आई स्टोन कहते हैं। लहसुनिया मुख्यतः केतु ग्रह का रत्न है, अतः जिसकी जन्म कुण्डली में केतु ग्रह दूषित, दुर्बल या अस्त हो उसे लहसुनिया रत्न अवश्य धारण करना चाहिये।
लहसुनिया जीवन में उत्तम प्रभाव पैदा करने में समर्थ होता है। इसके पहिनने से सन्तान-वृद्धि, संपत्ति, स्थिर-लक्ष्मी एवं आनन्द की वृद्धि होती है। भूत-प्रेतों का डर इसके पहिनने से जाता रहता है। मानसिक, शारीरिक न्यूनताओं को समाप्त करने में यह सहायक रहता है।
यदि जन्म कुण्डली में केतु ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, गुरु या शुक्र के साथ स्थित हो अथवा यदि किसी ग्रह की महादशा में केतु की अन्तर दशा चल रही हो तो लहसुनिया धारण करना शुभ रहता है। सांयकाल में पांच बजे से आठ बजे के बीच निम्न मंत्र का 108 बार उच्चारण कर यह रत्न धारण करना श्रेयष्कर रहता है।
मिथुन और कन्या लग्न वालों के लिए पन्ना अत्यन्त अनुकूल होता है।
पन्ना बुध ग्रह का रत्न है। यदि बुध पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि हो तो पन्ना रत्न पहनना शुभ माना गया है। बुध, मंगल, राहु या केतु के साथ हो तो पन्ना अवश्य पहनना चाहिए। पन्ना बुखार, उल्टी, विष, सन्निपात, बवासीर आदि में लाभदायक है।
व्यापार, वणिक कार्य, एकाउन्टेन्ट, गणित कार्य या बैंक आदि में नौकरी करने वालों को अपनी उन्नति के लिए पन्ना रत्न धारण करना चाहिए। प्रातः काल में पांच बजे से आठ बजे के बीच निम्न मंत्र का 108 बार उच्चारण कर यह रत्न धारण करना श्रेयष्कर रहता है।
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