औहार्य, सरलता, क्षमा, करूणा और ऐश्वर्य के अधिपति भगवान शिव के समान कोई भी अन्य देव है ही नहीं। योग और भोग को एक साथ धारण करने की सामर्थ्य किसी भी अन्य देव में नहीं है। अर्द्धनारीश्वर स्वरूप ही भगवान शिव का यथार्थ परिचय है। विष पान कर लेने की घटना भगवान शिव की जन-जन के मानस में अपनी पहचान बनायें हुये है और वे ही तो हैं जो गुरू रूप में धरा पर अवतीर्ण होते हैं। गुरू साक्षात् भगवान शिव ही कहे गये हैं।
और ऐसे शिवत्व को प्राप्त कर लेना ही तो जीवन का परम सौभाग्य है, परम आनन्द है, जीवन की सर्वोच्चता है और सर्वोच्चता, यह आनन्द, यह सौभाग्य जीवन में प्राप्त हो सकता है शिव शक्ति को धारण करने से।
भगवान शिव का गृहस्थ जीवन प्रत्येक कामनाओं से पूर्ण है। पुत्र के रूप में भगवान गणपति और कार्तिकेय हैं। और पत्नी के रूप में सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी पार्वती, स्थान भी पूर्ण शांति युक्त हिमालय है। जहां पूर्ण आनन्द के साथ शिव-गौरी परिवार विराजित होते हैं। गृहस्थ व्यक्तियों के लिये शिव-गौरी आदर्श स्वरूप हैं। भगवान शिव को ही सृष्टि का प्रथम पुरूष माना गया है। जिन्होंने अपने साथ हर समय शक्ति को संयुक्त रखा है। भगवान शिव के बिना शक्ति अधूरी है और शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं। और जहां शिव शक्ति का मिलन होता है। वहां जीवन है, आनन्द है, पूर्णता है।
पावन पर्व पर नवीनता, आनन्द, परिवार, पुत्र, ऐश्वर्य, भयहीनता की प्राप्ति होती है इस सौभाग्य को अपने जीवन में उतारने के लिये इससे उच्चकोटि का दिवस कौन सा हो सकता है? जीवन के प्रत्येक क्षण को पूर्ण रसमय, आनन्द युक्त, शौर्य, सम्मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य युक्त बनाने की क्रिया प्रारम्भ इसी पावन पर्व पर होती है।
जब जीवन शव से शिव की ओर अग्रसर होता है। तो शिष्य और साधक अनुभव करने लगता है कि उनका जीवन पूर्णता की तरफ उनके कदम बढ़ने लगे है, आनन्द की प्राप्ति होने लगी है इन सबका नाम ही सोमवती अखण्ड सुहाग व़ृद्धि शिव गौरी दीक्षा है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,