उस नवीनता को पाना है, उस हर्ष का अनुभव निरन्तर करना है तो कुछ नया करना होगा और नियम बद्ध तरीके से रोज करना होगा, तभी वह हर्ष-सन्तोष की स्थिति स्थाई रहेगी अन्यथा वह कष्ट, तकलीफ की स्थितियाँ आपके जीवन को हिलाती रहेगी, ऊपर-नीचे करती रहेगी, जीवन में स्थिरता चाहिये तो अपनी नींव को दृढ़ करना होगा और यह तभी सम्भव है जब आप अपनी सोच अपनी प्रवृति में परिवर्तन नहीं करेंगे।
केवल माला जप करने, सत्संग में बैठने से परिवर्तन नहीं आयेगा, परिवर्तन तो उस मन के वेग को नियंत्रण कर इधर-उधर भागने से रोकने से आयेगा। यह सब सम्भव है उस ज्ञान-विज्ञान से, उस यंत्र से, उस तंत्र से व सही मंत्र के प्रयोग से।
जिस प्रकार Mobile-Computer का सही बटन दबाने से या सही कमान्ड़ देने से वह सही क्या करना है, गाड़ी में सही Gear डालने से वह बढ़ेगी या चलेगी। उसी प्रकार भौतिक व आध्यात्मिक जीवन में सही यंत्र-तंत्र-मंत्र के योग-प्रयोग से जीवन में वो परिवर्तन आयेगा व हर्ष की अनुभूति आयेगी। यह क्रिया केवल ऊपरी रूप से नहीं अपितु आंतरिक रूप में करनी होगी, इसी संकल्प भाव को परिवर्तन के भाव को स्वयं को करना है, और गुरू सदैव एक सारथी, एक मार्गदर्शक, एक रक्षक, के स्वरूप आपके साथ खड़े है।
इस 27-28-29 दिसम्बर को नवग्रह युक्त शनि संताप दोष निवृत्ति नववर्ष मंगला गौरी सुखदा प्राप्ति साधना शिविर, बिलासपुर व 01 जनवरी नूतन वर्ष को प्रयागराज के पावन धरा पर आप उस हर्ष की परिवर्तन की क्रिया प्रारंभ करें।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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