जामुन में पोटेशियम पर्याप्त मात्र में होता है जो कि व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक आदि से बचाता है।
अगर किसी व्यक्ति में खून की कमी पाई जाती है तो उसे भी जामुन का सेवन भरपूर मात्र में करना चाहिये, इससे व्यक्ति के शरीर में खून का स्तर बढ़ जाता है। जामुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन और विटामिन प्रचुर मात्र में मौजूद होते है, जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है।
आप मौसम के समय में जामुन के फलों का रस निकाल कर रख सकते है और फिर कभी उल्टी, दस्त या हैज़ा जैसी परेशानी होने पर इसे पानी के साथ उपयोग करने पर फायदा पहुँचता है।
ताजे जामुन और आम का रस मिलाकर शुगर के मरीज को देने पर फायदा पहुँचता है। जामुन के सेवन से पेट की समस्याओं से निजात मिलता है। साथ ही साथ पेट के कीड़े, दमा की समस्या, खांसी आदि में भी राहत मिलती है। जामुन के सेवन से पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, एसीडिटी आदि से निजात मिलता है और चेहरे पर निखार आता है। अगर आपके मुँह में छाले हो गये है तो जामुन के सेवन से लाभ मिलता है।
अगर आप एसीडिटी से परेशान है तो जामुन के फल में काला नमक और जीरे का चूर्ण मिलाकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है। जामुन में बहुत सारे तत्व होने के कारण यह आपको बारिश के मौसम में रोगो से लड़ने की शक्ति देता है।
जामुन के फल के साथ-साथ इसकी पत्ती, गुठली और छाल के भी बहुत सारे फायदे है, जिनके बारे में जानकर आप उनका लाभ ले सकते है। तो आइये जामुन की पत्तियों, गुठली और छाल के फायदे के बारे में कुछ जानकारी एकत्रित करते है।
जामुन के फल तो केवल मौसम में उपलब्ध होते है, परंतु इसकी पत्तियाँ पूरे वर्ष भर उपलब्ध रहती है और रोगी को फायदा पहुँचाती है। अगर आपके मसूड़े कमजोर है, तो जामुन के पत्तों की राख का मंजन करने से आपको फायदा मिलता है।
अगर आपके मसूड़े से खून आता है या कोई अन्य समस्या जैसे मसूड़ो में सूजन आदि है तो जामुन के कोमल पत्तों को पानी मे उबाल से और इस पानी से कुल्ला करने पर आपको लाभ अवश्य होता है।
अगर आप मुँह की दुर्गंध से परेशान है, तो जामुन के पत्ते चबाने और उसे चूसने से लाभ मिलता है। जामुन के पत्तों का गाय के दूध के साथ सेवन से खूनी बवासीर मे लाभ पहुँचता है।
जामुन का फल जब उपलब्ध होता है तो इसके सेवन के बाद गुठलियों को अधिक्तर लोग फेक देते है, इसका कारण जामुन की गुठलियों के फायदों से अज्ञात होना है। अगर व्यक्ति चाहे तो जामुन की गुठलियों को एकत्रित करके उसका चूर्ण बनाकर उसका उपयोग वर्ष भर कर सकते हैं। जामुन की गुठलियों के पावडर के नियमित सेवन से शुगर के रोगियों को फायदा पहुँचता है।
अगर आपको कोई घाव या छाला हो गया है, तो जामुन की गुठली को सुखाकर पीस लें, फिर उस पाउडर में पानी डालकर पेस्ट बनाकर घाव पर लगाने से लाभ मिलता है। जामुन की गुठलियों के पावडर का सेवन करने से पेचिश में भी राहत मिलती है, इसके लिये दिन मे तीन बार 1-1 चम्मच इसका सेवन करना चाहिये।
अगर आपको पथरी हो गयी है, तो जामुन की गुठली के पावडर को दही के साथ लेने से आराम मिलता है। रक्तप्रदर की समस्या होने पर जामुन की गुठली के पावडर में पीपल की छाल का पावडर 1/4 मिलाकर लेने से लाभ मिलता है। अगर आपका बच्चा रात मे बिस्तर में पेशाब करता है, तो उसे जामुन की गुठली के पावडर की निश्चित मात्र देने पर लाभ पहुँचता है।
अगर आप अपनी आवाज सुरीली बनाना चाहते है, तो जामुन की गुठलियों के पावडर को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
जामुन के पेड़ की हर एक चीज फायदा पहुँचाती है, जामुन के फल, पत्तियों और गुठली के साथ जामुन के पेड़ की छाल के भी फायदे हैं।
अगर आपके पेट में मरोड़, ऐठन आदि समस्या है, तो जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है। अगर बच्चों को दस्त हो गये है, तो जामुन की छाल का रस बकरी के दूध में उबालकर ठंडा करके पियें उससे लाभ मिलता है।
जामुन की छाल स्त्रियों मे अतिसार की समस्या मे लाभदायक है। अगर गला ख़राब हो, तो जामुन की छाल को पानी में उबाल कर उस पानी से गरारे करने पर लाभ मिलता है।
जामुन छाल गठिया के इलाज में भी सहायक है। जामुन की वृक्ष की छाल को घिसकर पानी के साथ दिन मे एक दो बार लेने पर अपच, पेट ख़राब की समस्या दूर होती है।
जामुन का फल तो साल भर उपलब्ध नहीं होता, परन्तु आप चाहे तो उसके फलो का सिरका बनाकर इसे साल भर इस्तेमाल कर सकते है। जिसके कई सारे फायदे है, आइये हम जामुन के सिरके से होने वाले फायदे को देखते है।
अगर आप काफी समय से कब्ज की समस्या से परेशान है, तो जामुन के सिरके के नियमित सेवन से आपको लाभ मिलेगा। उल्टी दस्त आदि में भी जामुन का सिरका फायदेमंद होता है। जामुन का सिरका शुगर के मरीज के लिये भी लाभदायक है।
जामुन का सिरका बनाने के लिये जामुन को मिट्टी के बर्तन में नमक मिलाकर कुछ दिनों के लिये धूप में रख दें। अब जब यह तैयार हो इसे छानकर काँच की बोतल में रख लें और आवश्यकता होने पर उपयोग करें।
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