दसवां प्रकरण अष्टावक्र गीता कायकृत्यासहः पूर्वं ततो वाग्विस्तरासहः । अथ चिन्तासहस्तस्मादेवमेवाहमास्थितः ।। अष्टावक्र और जनक दोनों ज्ञानियों में परस्पर बड़ा मधुर संवाद चल रहा है। दोनों […]
रूद्राक्ष धारणाच्च श्रेष्ठं न किंचिदपि विद्यते इस विश्व में धारण योग्य रूद्राक्ष के अतिरिक्त दूसरी कोई वस्तु नहीं। पंचमुखी रुद्राक्ष तंत्र साधनाओं में रुद्राक्ष को अति […]