उत्तम स्वास्थ्य का उसके पूरे जीवन और उसके कार्य-कलापों पर प्रभाव पड़ता है। यदि स्वास्थ्य उत्तम होता है, तो वह सब कुछ कार्य कर सकता है, प्रत्येक कार्य में मानसिक और शारीरिक शक्ति लगा सकता है। परन्तु यदि स्वास्थ्य उसका साथ नहीं दे तो उसका जीवन एक प्रकार से व्यर्थ सा हो जाता है।
हथेली में स्वास्थ्य-रेखा का उद्गम किसी भी स्थान से हो सकता है, परन्तु यह बात निश्चित है कि इसकी समाप्ति बुध पर्वत पर ही होती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कोई एक रेखा प्रारंभ होकर बुध पर्वत की ओर आने का प्रयत्न करती है, परन्तु बुध पर्वत तक नहीं पहुंच पाती। ऐसी स्थिति में वह रेखा स्वास्थ्य रेखा नहीं कहला सकती। स्वास्थ्य रेखा वह तभी कहला सकती है, जबकि वह बुध पर्वत को स्पर्श करे या बुध पर्वत पर पहुंचे।
कुछ रेखाएं बुध पर्वत को मात्र स्पर्श करके ही रह जाती है। ऐसी रेखा को भी बुध रेखा या स्वास्थ्य रेखा मान लेना चाहिए। यह रेखा हथेली के किसी भी भाग से प्रारम्भ हो सकती है। मुख्य रूप से इसका प्रारम्भ निम्न स्थानों से होता हैः-
जैसा कि मैं ऊपर बता चुका हूं कि स्वास्थ्य रेखा का प्रारम्भ कहीं से भी हो सकता है, परन्तु उस रेखा की समाप्ति बुध पर्वत पर ही होती है।
इस रेखा का भली-भांति अध्ययन करना चाहिए। हथेली में यह रेखा जितनी अधिक स्पष्ट, निर्दोष व गहरी होती है, सम्बन्धित व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही ज्यादा श्रेष्ठ एवं उन्नत होता है। उसका शरीर सुगठित और व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है। यदि हथेली में स्वास्थ्य रेखा टूटी हुई हो या कटी-फ़टी, छिन्न-भिन्न, लहरदार या जंजीर के समान हो, तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य अपने आप में कमजोर होगा। जीवन में उसे किसी भी प्रकार कोई आनन्द नहीं रह पाएगा। व्यक्ति की हथेली में स्वास्थ्य रेखा का स्पष्ट होना बहुत अधिक जरूरी है।
कुछ हथेलियों में स्वास्थ्य रेखा का अभाव भी देखने को मिलता है। इस सम्बन्ध में मेरा यह अनुभव है कि स्वास्थ्य रेखा का न होना भी अपने-आप में एक शुभ संकेत है जिन व्यक्तियों के हाथों में स्वास्थ्य रेखा नहीं होती, वे स्वस्थ्य, आकर्षक और आनन्ददायक जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी भी प्रकार के रोग से दूर रहते हैं, तथा अपने पुरुषार्थ के बल पर सब कुछ करने के लिए तैयार रहते है।
जिस हथेली में यह रेखा चौड़ी होती है, उसका स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर रहता है। यदि यह रेखा कड़ी के समान जुड़ी हुई, तो उसे जीवन भर पेट की बीमारी रहती है। यदि लहर के समान यह रेखा ऊपर की ओर बढ़ रही हो, तो उसे जिगर की बीमारी अवश्य ही होती है। इस रेखा का पीलापन इस बात को स्पष्ट करता है कि ऐसे व्यक्ति पीलिया या रक्त से सम्बन्धित बीमारी से पीडि़त रहेगा। स्वास्थ्य रेखा पर जितने अधिक बिन्दु होते है। उसका स्वास्थ्य उतना ही ज्यादा खराब रहता है, यदि किसी की हथेली में स्वास्थ्य रेखा कई जगह से कटी हुई तो, वह व्यक्ति जीवन भर बीमार बना रहता है।
आगे के पृष्ठों में मैं स्वास्थ्य रेखा से सम्बन्धित कुछ विशेष तथ्य स्पष्ट कर रहा हूं।
1- यदि स्वास्थ्य रेखा जीवन रेखा से मिली हुई न हो, तो ऐसा व्यक्ति दीर्घायु होता है।
2- स्वास्थ्य रेखा जितनी अधिक लम्बी, स्वास्थ्य और पुष्ट होती है, उस व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अधिक श्रेष्ठ कहा जाता है।
3- यदि इस रेखा का प्रारम्भ लाल हो, तो उसे जीवन में हार्ट की बीमारी होती है।
4- यदि यह रेखा मध्य में लाल हो, तो उसका स्वास्थ्य जीवनभर कमजोर बना रहता है।
5- यदि रेखा का अन्तिम स्थल पर लाल रंग की हो, तो उसे सिर दर्द की बीमारी बनी रहती है।
6- यदि यह रेखा कई रंगों की हो, तो उसे जीवन में पक्षाघात का सामना करना पड़ता है।
7- यदि यह रेखा पीले रंग की हो, तो उसे गुप्त रोग कहते हैं।
8- यदि स्वास्थ्य रेख चन्द्र पर्वत से होती हुई हथेली के किनारे-किनारे चलकर बुध पर्वत तक पहुंचती हो, तो वह जीवन में कई बार विदेश यात्राएं करता है।
9- यदि यह रेखा पतली तथा स्पष्ट हो एवं मस्तिष्क रेखा भी पुष्ट हो, तो उस व्यक्ति की स्मरण-शक्ति अत्यंन्त तीव्र होती है।
10- यदि इस रेखा पर तथा मस्तिष्क पर रेखा पर धब्बे हों तो व्यक्ति जीवन भर बीमार बना रहता है।
11- यदि हथेली में स्वास्थ्य रेखा सूर्ख रंग की हो, तो ऐसा व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोगी तथा कामी होता है।
12- यदि मस्तिष्क रेखा कमजोर हो या स्वास्थ्य रेखा लहरदार हो, तो उसे पेट की बीमारी बनी रहती है।
13- यदि बुध पर्वत पर यह रेखा आकर कट जाती हो, तो ऐसे व्यक्ति को पित्त दोष होता है।
14- यदि यह रेखा लाल रंग की होकर हृदय रेखा से बढ़ती हो, तो उसका हृदय अत्यन्त कमजोर समझना चाहिए।
15- यदि कोई स्वास्थ्य रेखा हृदय रेखा पर क्रॉस का चिन्ह बनाती हो, तो उसे मन्दग्नि रोग रहता है।
16- यदि स्वास्थ्य रेखा से कई सहायक रेखाएं निकलकर ऊपर की ओर बढ़ रही हों, तो ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य अत्यन्त श्रेष्ठ माना जाता है।
17- यदि स्वास्थ्य रेखा लम्बी तथा लहरदार हो, पर भाग्य रेखा कमजोर हो, तो उसे जीवन में दांतों की बीमारी होती है।
18- यदि स्वास्थ्य रेखा कमजोर हो एवं हृदय रेखा भी कमजोर हो, तो व्यक्ति दुर्बल मनोवृत्ति का होता है।
19- यदि स्वास्थ्य रेखा के अन्तिम स्थल पर चतुर्भुज हो, तो व्यक्ति दमें के रोग से पीडि़त होता है।
20- यदि उंगलियां कोणदार हों तथा स्वास्थ्य रेखा कमजोर हो, तो व्यक्ति लकवे के रोग से पीडि़त रहता है।
21- यदि स्वास्थ्य रेखा से कई छोटी-छोटी शाखाएं नीचे की ओर जा रही हों, तो उसका स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर बना रहता है।
22- यदि स्वास्थ्य रेखा कोई प्रशाखा सूर्य पर्वत की ओर जा रही हो, तो उस व्यक्ति के पास अतुलनीय धन होता है।
23- यदि स्वास्थ्य रेखा से कोई प्रशाखा शनि पर्वत की ओर जा रही हो, तो वह व्यक्ति स्वास्थ्य से गंभीर मननशील तथा दीर्घायु होता है।
24- यदि स्वास्थ्य रेखा में चन्द्र रेखा आकर मिल रही हो, तो वह व्यक्तिगत सफ़ल कवि होता है, तथा कई बार विदेश यात्राएं करता है।
25- यदि स्वास्थ्य रेखा से कोई प्रशाखा अद्धर्वृत्त सा बनाती हुई मंगल पर्वत की ओर जा रही हो, तो वह व्यक्ति सफ़ल भविष्यवक्ता होता है।
26- यह मनुष्य की हथेली में स्वास्थ्य रेखा से चलकर हृदय रेखा को काट रही हो, तो उस व्यक्ति को मिर्गी का रोग होता है।
27- यदि लहरदार स्वास्थ्य रेखा भाग्य रेखा को स्पर्श कर लेती है, तो उस व्यक्ति का भाग्य जीवन भर कमजोर बना रहता है।
28- यदि ऐसी रेखा मस्तिष्क रेखा को छूती हो, तो उस व्यक्ति का दिमाग अत्यन्त कमजोर रहता है।
29- यदि लहरदार स्वास्थ्य रेखा सूर्य पर्वत को स्पर्श करती हो, तो वह जीवन में कई बार बदनामी उठाता है।
30- यदि स्वास्थ्य रेखा लहरदार हो तथा बुध पर्वत को पार करती हो, तो उसे व्यापार में जबरदस्त हानि सहन करनी पड़ती है।
31- यदि उंगलियां नोकीली हों और हथेली में स्वास्थ्य रेखा का अभाव हो, तो वह व्यक्ति क्रियाशील होता है।
32- यदि बुध पर्वत अत्यन्त विक्षिप्त हो और स्वास्थ्य रेखा का अभाव हो, तो वह व्यक्ति खुश मिजाज होता है।
33- यदि लहरदार बुध रेखा मुड़कर शुक्र पर्वत की ओर जा रही हो, तो उसे प्रेम के क्षेत्र में जबरदस्त धक्का लगता है।
34- यदि स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह हो तो उसे रक्त सम्बन्धी बीमारियां होती हैं तथा उसे फ़फ़ेड़े कमजोर होते हैं।
35- यदि स्वास्थ्य रेखा के आस-पास कई छोटी-छोटी रेखाएं हों, तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य हमेशा कमजोर रहता है।
36- यदि स्वास्थ्य रेखा जीवन रेखा से बढ़कर मस्तिष्क रेखा तथा हृदय रेखा स्पर्श करती हुई आगे बढ़ती है, तो उसे जीवन में कमजोरी रहती है।
37- यदि जीवन रेखा के साथ यह रेखा जुड़ी हुई हो, परन्तु इस रेखा पर नीले धब्बे हों, तो उसे हृदय रोग की शिकायत बनी रहती है।
38- यदि मस्तिष्क रेखा के अन्त में तथा स्वास्थ्य रेखा के अन्त में क्रॉस हो, तो वह व्यक्ति सफ़ल होता है।
39- यदि स्वास्थ्य रेखा कहीं पर चमकदार तथा कहीं पर फ़ीकी हो अथवा टुकड़ों में बंटी हुई हो तो उसका स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर रहता है।
40- यदि स्वास्थ्य रेखा कमजोर और अत्यन्त पतली हो, तो उसके चेहरे पर सुस्ती बनी रहती है।
41- यदि स्वास्थ्य रेखा परस्पर और सूर्य रेखा का परस्पर सम्बन्ध बन गया हो, तो उस व्यक्ति का मस्तिष्क अत्यन्त उर्वर होता है।
42- यदि इस रेखा के अन्त में क्रॉस हो तथा मस्तिष्क रेखा पर भी क्रॉस का चिन्ह हो, तो व्यक्ति जीवन में अन्धा होता है।
43- यदि स्वास्थ्य रेखा के मार्ग में कहीं पर तिरछी रेखा काटती हो, तो आयु के उस भाग में जबरदस्त एक्सीडेन्ट (दुर्घटना) होता है।
44- यदि रेखा पर तारे का चिन्ह हो, तो उसे जीवन मे परिवार का सहयोग नहीं मिलता।
45- यदि स्वास्थ्य रेखा के आस-पास क्रॉस का चिन्ह हो, तो उसके जीवन में कई बार दुर्घटनाएं घटित होती है।
46- यदि राहु क्षेत्र पर गुजरते स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह हो, तो ऐसा व्यक्ति टी- बी- के रोग से पीडि़त रहता है।
48- यदि भाग्य रेखा कटी हुई हो तथा स्वास्थ्य रेखा पर द्वीप का चिन्ह हो, तो व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से पीडि़त रहता है।
49- यदि स्वास्थ्य रेखा हथेली के अन्दर धंसी हुई हो, तो उसे गुप्त रोग रहते हैं।
50- स्वास्थ्य रेखा पर क्रॉस स्वास्थ्य की हानि की ओर ही संकेत करते हैं।
51- यदि स्वास्थ्य रेखा पर नक्षत्र हों, तो व्यक्ति को पारिवारिक सुख नहीं मिलता।
52- यदि बुध रेखा तथा प्रणय रेखा आपस में मिली हुई हों, तो उस व्यक्ति की पत्नी का स्वास्थ्य जीवन भर कमजोर रहता है।
53- यदि दोनों हाथों में स्वास्थ्य रेखा स्पष्ट हो, तो वह व्यक्ति कामुक और भोगी होता है।
54- यदि स्वास्थ्य रेखा दुहरी हो, तो व्यक्ति श्रेष्ठ भाग्य का स्वामी होता है।
55- यदि दुहरी स्वास्थ्य रेखा तथा हृदय रेखा का मिलन बुध पर्वत के नीचे हो, तो उसे व्यक्ति की मृत्यु हार्ट-अटैक से होती है।
56- यदि दुहरी स्वास्थ्य रेखा तथा हृदय रेखा का मिलन बुध पर्वत के नीचे हो, तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य अत्यन्त श्रेष्ठ समझना चाहिए।
57- यदि स्वास्थ्य रेखा के साथ में कोई सहायक रेखा भी चल रही हो, तो उसे व्यक्ति का स्वास्थ्य अत्यन्त श्रेष्ठ समझना चाहिए।
58- यदि स्वास्थ्य रेखा ठीक हो, परन्तु नाखूनों पर पीली धारियां हों, तो उसे व्यक्ति की असामयिक मृत्यु होती है।
59- यदि स्वास्थ्य रेखा नीचे से पुष्ट हों, परन्तु ऊपर चलते-चलते क्षीण होती होती जाती हो, तो व्यक्ति की यौवनकाल में ही मृत्यु हो जाती है।
60- यदि स्वास्थ्य रेखा मणिबन्ध से निकल रही हो पर टूटी हुई हो, तो उस व्यक्ति की मृत्यु शीघ्र ही समझनी चाहिए।
61- यदि स्वास्थ्य रेखा पर जाली का चिन्ह हो, तो व्यक्ति पूर्ण आयु नहीं भोगता।
62- यदि जीवन रेखा तथा स्वास्थ्य रेखा का आपस में सम्बन्ध हो जाए और ऊपर तारे का चिन्ह हो, तो व्यक्ति की मृत्यु यात्रा में होती है।
63- यदि जरूरत से ज्यादा लम्बे नाखून हों, तो व्यक्ति को स्नायु सम्बन्धी बीमारी होती है।
64- यदि नाखूनों का रंग नीला हो, तो व्यक्तिगत पक्षाघात से पीडि़त रहता है। यदि नाखून छोटे-छोटे हों और स्वास्थ्य रेखा कटी हुई हो, तो व्यक्ति की मिर्गी का रोग होता है।
65- यदि जीवन रेखा कमजोर ही तथा बुध रेखा लहरदार हो, तो उसे गठिया की बीमारी होती है।
66- उत्तम स्वास्थ्य रेखा व्यक्तिगत के लिए सभी दृष्टियों में सुखदायक कही जाती है।
हस्तरेखा विशेषज्ञ को स्वास्थ्य रेखा का सावधानी के साथ अध्ययन करना चाहिए। इस रेखा से हम भविष्य में होने वाली बिमारियों तथा दुर्घटनाओं की जानकारी पहले से ही कर सकते हैं और इस प्रकार की चेतावनी देकर उसे सावधान कर सकते है। वस्तुतः स्वास्थ्य रेखा का महत्व हथेली में अन्यतम है, इसमें कोई दो राय नहीं।
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