लेकिन सत्य तो यह है कि इन सब के बावजूद भी मनुष्य अपना जीवन सुख-शांति, प्रेम, आनन्द से जीना चाहता है, परन्तु इस हेतु भौतिक और अदृश्य बाधाओं का शमन आवश्यक है। जिसके लिये आद्या शक्ति की आराधना सबसे उपयुक्त और तीक्ष्ण प्रभावकारी मानी जाती है। जो जीवन की समस्त दुर्गतियों का विनाश करने में पूर्णतः समर्थ है।
भगवती दुर्गा का तात्पर्य ही है कि पूर्णतः भौतिक संकटों की समाप्ति अर्थात् समस्त दुर्गतियों का नाश। जिस दुर्गम नाम के दैत्य का वध करने के कारण उनकी संज्ञा दुर्गा हुयी। उसी स्वरूप में भगवती दुर्गा साधक के जीवन के समस्त रोग, दुर्बलता, दारिद्रय, धनहीनता जैसे विभिन्न दुर्गम दैत्यों का नाश कर साधक को समृद्ध, सम्पन्न और श्रेष्ठ जीवन प्रदान करती हैं।
दुर्गति नाशक पूर्णांश कवच जीवन की सभी विकट स्थितियों का संहार कर उन्नति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। जिसे धारण करने से साधक के देह में शक्तित्व जाग्रत होता है और वह जीवन की सभी परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करते हुये श्रेष्ठमय उन्नति, धन-धान्य, अपार संभावनाओं और सफलताओं से परिपूर्ण होकर सुखमय जीवन व्यतीत करता है।
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