विक्रम संवत् 2074 श्रावण-भाद्रपद माह के विशिष्ट दिवस श्रावण पूर्णिमा, चन्द्र ग्रहण, रक्षा शक्ति पर्व, कजरी तीज, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, सोमवती अमावस, पूर्ण सूर्य ग्रहण, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, आद्या शक्ति महाकाली सिद्धि दिवस, ऋषि पंचमी और राधाष्टमी, इन सभी साधनात्मक दिवसों ने पूरे माह को साधनामय चेतना से आपूरित कर दिया है।
साधना करने वाले साधको के लिये तो प्रत्येक क्षण अपने आप में सिद्धिदायक होते हैं, परन्तु जीवन में कुछ क्षण ऐसे आते हैं, जिनकी चेतना, ऊर्जा, ब्रह्माण्डीय शक्तियों, ऊष्मा से ओत-प्रोत होती है, जिसकी मूल महत्ता जाग्रत व क्रियारत साधक निश्चित रूप से समझते हैं, साथ ही इन दिवसों पर तो सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी दैवीय अनुकम्पा प्राप्त करने के लिये, दैवीय शक्तियों की आराधना, उपासना करते हैं। जिससे उनके मनोरथो की पूर्ति हो सके।
अगस्त माह ऐसे ही विशिष्ट तिथि, मुहुर्त, नक्षत्र और ग्रहो का योग लेकर इस वर्ष उपस्थिति हुआ है, साधना जगत में विशिष्ट दिवसों का अत्यन्त महत्व होता है। साथ ही यह माह चन्द्र व सूर्य ग्रहण की तेजोमय चेतना से आपूरित है और ग्रहण की महत्ता से तो सामान्यतः सभी परिचित ही हैं।
लेकिन किसी भी विशिष्ट अवसर की उपयोगिता तभी सार्थक है, जब साधक उन विशिष्ट दिवसों पर साधनात्मक क्रियाओं द्वारा स्वयं को चेतनावान, ऊर्जावान बना सके, दिव्यतम चैतन्य रश्मियों को अपने देह में धारण करने में सफल हो सके, अन्यथा सभी दिवस एक समान ही दृष्टिगोचर होंगें। अधिकांश साधक विशेष दिवस से परिचित तो होते हैं, पर वे ऐसे दिवसों का पूर्ण लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, कारण भी कोई बहुत बड़ा नहीं होता। संकल्प शक्ति व दृढ़ता की ही न्यूनता प्रतीत होती है। यदि संकल्प शक्ति दृढ़ हो जाये तो संसार का प्रत्येक कार्य सरल व सहज लगने लगता है। लेकिन हम तो पहले से ही निराश, हताश रहते हैं, कि नहीं, नहीं हमसे नहीं हो पायेगा, मैं एक घण्टे आसन पर कैसे बैठूंगा, मुझसे कहीं कोई गलती ना हो जाये और मुझे उसका विपरीत प्रभाव सहना पड़े। ऐसे ही कुछ भ्रातिंयों से अनेक साधक-साधिकायें ग्रसित होती हैं।
आप कदम तो बढ़ाओ, मंजिल तक पहुंचाने वाला स्वयं उस पार लगायेगा। आपको केवल संकल्पित होकर अपने विचारो पर दृढ़ रहना है, केवल इतना ही करना है आपको, फिर आप स्वयं अनुभव कर पायेंगे, कि सद्गुरुदेव नारायण आपके समक्ष उपस्थित हैं, आपकी प्रत्येक क्रिया में आपके प्रथम सहयोगी हैं, जो आपको किसी भी स्थिति में उस पार लगाना चाहते हैं, आपको वहां पहुंचाना चाहते हैं, जहां की योग्यता आप में है।
मैं आशा करता हूं कि आप सभी ऐसे दिव्यतम चैतन्य दिवसों की रश्मियों को साधना के माध्यम से अपने रोम-रोम में स्थापित करेंगे, जिससे आपका आने वाला जीवन दैदीप्यमान हो सकेगा। आपके सफल जीवन की शुभकामनाओं सहित——-!!
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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